नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के दाम 55 महीने के अधिकतम स्तर पर पहुंच गई हैं। देश की राजधानी में पेट्रोल की कीमतें शुक्रवार को 74.08 रुपये और डीजल की 65.31 रुपये प्रति डीजल पर पहुंच गईं। पेट्रोल के मूल्य ने 74.10 रुपये प्रति लीटर का सर्वकालिक रिकॉर्ड स्तर सितंबर 2013 में छुआ था।पेट्रोल व डीजल के बढ़ते दामों ने सरकार पर भी दबाव बढ़ा दिया है। बढ़ती कीमतों से आम जनता की परेशानियों को देखते हुए एक्साइज ड्यूटी में कमी कर उपभोक्ताओं को राहत देने की मांग होने लगी है। जानकार मान रहे हैं कि कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं तो महंगाई बढ़ने का भी खतरा ज्यादा होगा। कच्चा तेल ही नहीं बल्कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट भी पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत को हवा दे रही है। दरअसल रुपया गिरने से आयातित कच्चे तेल का देश में मूल्य और बढ़ जाता है। इन वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों को लेकर कांग्रेस भी सरकार पर हमलावर हो गई है। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा कि भाजपा देश के 22 राज्यों में सरकारें चला रही है। इसके बावजूद वह पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने को तैयार नहीं है अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। सऊदी अरब की तरफ से कच्चे तेल की कीमतों को ऊंचा रखने की खबर से ऐसा हो रहा है। हालांकि शुक्रवार को सऊदी अरब ने इस बात से इन्कार किया है कि उसने कीमतों को ऊंचा बनाये रखने का कोई संकेत तेल उत्पादक देशों को दिया है।अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 74 डॉलर प्रति बैरल (प्रति बैरल करीब 158 लीटर) के करीब पहुंच गई। इंडियन बास्केट में भी क्रूड के भाव 70 डॉलर के आसपास बने हुए हैं। पिछले दिनों इस बात की चर्चा थी कि इंडियन बास्केट में क्रूड के दाम 65 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने पर उत्पाद शुल्क में कटौती पर विचार किया जा सकता है। हालांकि बाद में सरकार ने ऐसी किसी संभावना से इन्कार कर दिया था। वित्त मंत्रालय के सूत्र भी बताते हैं कि खजाने की मौजूदा हालत को देखते हुए सरकार एक्साइज ड्यूटी में राहत देने की स्थिति में नहीं है।