स्विस बेंको में कालाधन घटने की बजाय बढ़ा…! युंकी कमाल हो गया

समूचे विश्व में कालेधन के लिए स्विस बेंके मशहुर है। भारत समेत बड़े बड़े लोग जिसमे एक नंबर और दो नंबर के भी शामिल है वे भी काला धन छिपाने के लिए स्विस बेंक पसंद करते है। क्योंकि वहां के कानून के तहत इसकी जानकारी खाताधारक के सिवा किसी को नहीं मिलती। सरकार या सरकारों को भी नहीं। हाल के जो आंकड़े बाहर आ रहे है वह बताते है की २०१७ में इन बेंको में भारतकी धन राशि में ५० फीसदी की बढौती हुई है। २०१६ में करीब ४५०० करोड़ थी जो २०१७मे बढ़ कर ७ हजार करोड़ हो गई है। यानी की इसमें इजाफा हुवा है।
असल में कटौती होनी चाहिए थी क्योंकि मोदी सरकार ने २०१४ से भारत में कालेधन के खिलाफ मुहीम छेड़ रखी है। २०१४ के आम चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने विदेश में जमा काला धन भारत लाकर सभी के खाते में १५-१५ लाख जमा करने का वादा किया था। लेकिन सरकार बनाने के बाद उसे चुनावी जूमला कह कर सरकार ने पल्ला झाड दिया। सरकार ने कुछ हद तक काला धन पकड़ा भी है और ऐसा माना जा रहा था की अब विदेश में कोई भी काला धन नहीं रखेंगा। लेकिन बजाय इसके उसमे इजाफा हुवा। इसका मतलब यह हो शक्ता है की कालाधन रखनेवालो पर सरकार की मुहीम की कोई असर नजर नहीं आ रही। स्विस बेंक में जो राशि बढ़कर जमा है वह किस भारतीय नागरिक की है उसकी जानकारी जुटा कर सार्वजनिक होनी चाहिए। पहले की सरकार यह नाम और जानकारी नहीं बताती थी। लेकिन मोदी सरकार पहले जैसी सरकार के नहीं है।
मोदी सरकार पारदर्शी सरकार है। उनका जीवन भी पारदर्शी रहा है। काले धन के विरोधी रहे है। काला धन चुन चुन कर निकाल रहे है। करीब २ लाख बोगस कंपनियां उन्हों ने ढूँढ निकली जो कालेधन के लिए बनाई गई थी। ऐसे में स्विस बेंक जो काले धन के लिए बदनाम है उस बेंक में भारत में से पैसा जमा करानेवालों ने पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा राशी जमा करवाई इसका मतलब की भारत में कालाधन कमा कर स्विस बेंक में डाल रहे है। सरकार को चाहिए की वह स्विस बेंक से जानकारी ले की यह कालाधन किसका है। इसके साथ ही सोश्यल मिडिया का भी ध्यान रहे। क्यों की अब सोश्यल मिडिया में यह जानकारी औएंगी की यह कालाधन किसका है। वह जानकारी और नाम गलत ही होंगे। फेक जानकारी होंगी। जिसमे कोंग्रेस के नेता के साथ बीजेपी के नेताओ का नाम भी आ शकता है। सरकार इससे एलर्ट रहे। ओर स्विस बेंक से जानकारी लेकर संसद में यह जानकारी पेश कर सार्वजनिक करे। ताकि देश को भी पता चले की कौन है वह देश के लूंटेरे…?

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