हरदोई में भारतीय डाक की बदहाल व्यवस्था

’हरदोई। न्यूज़ वाणी  देश की व्यवस्था को केंद्र सरकार हाईटेक बनाने में जुटी हुई है, पर उसके ही उपक्रम दयनीय हालातों से जूझ रहे हैं। आज हम बात कर रहे हैं इंडिया पोस्ट की। भारत सरकार का अति महत्वपूर्ण व विश्वसनीय विभाग भारतीय डांक है। महकमे के उच्चाधिकारी जनता को बेजतर सुविधाएं देने के दावे भी करते हैं, पर धरातल पर उनके दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं। कुल मिलाकर बड़े डाकखाने की व्यवस्था पर ही सब टिका हुआ है।
द टेलीकास्ट टीम ने आज हरदोई शहर के कई डाकखानो का रुख किया तो हकीकत बेपर्दा हो गयी। बड़ा डाकखाना-’समय-12ः30 ज्यादातर यहां रजिस्ट्री व स्पीड पोस्ट करने के लिए भीड़ लगी थी, पर कुछ समय के लिए प्रिंटर खराब हो जाने पर यहां आए लोगों को वापस किया जा रहा था। सवाल ये है कि मुख्य डाकघर होने के बावजूद भी स्पीड पोस्टध्रजिस्ट्री का एक ही काउंटर क्यों? यदि एक काउंटर पर कोई अचानक समस्या आ जाये तो काम ठप! पीताम्बरगंज डाकघर-’’समय 12ः45’
अमूमन छोटे डाकखानो में भीड़ कम ही रहती है, पर व्यवस्थायें भी कम हों, तो सवाल उठना लाजमी है। यहां इंटरनेट न चलने का कारण बताकर लोगों को वापस किया जा रहा था।
.हरदोई बाजार डाकघर’समय- 13ः10’
काम छोड़ कर सभी कर्मचारी बातों में मशगूल थे। यहां भी इंटरनेट न चलने की बात कहकर डाक उपभोक्ताओं को वापस लौटाया जा रहा था।वैटगंज डाकघर-’समय 13ः30’
यहां अंधेरे में हाँथ से पंखा चलाकर कर्मचारी गर्मी से जंग लड़ रहे थे। मतलब बिजली भी नही। इसलिए स्पीड पोस्ट, रजिस्ट्री भेजने वाले उपभोक्ताओं को वापस किया जा रहा था। ऊंचाथोक डाकघर-’समयः 14ः00 बजे’
यहां केवल दो कर्मचारी नजर आए, जो गर्मी से जूझ रहे थे। बिजली यहां भी नही, एक जनरेटर बाहर और एक कार्यालय के अंदर रखा नजर आया। पर उपभोक्ताओं के लिए यहां भी कोई दिलचस्पी नही ली जा रही थी।
शहर के लोगों को भारतीय डाक की सुविधाएं उपलब्ध कराने में उक्त डाकघरों का महत्वपूर्ण योगदान होना चाहिए, किन्तु मुख्य डाकघर को हटा दें तो अन्य सभी छोटे डाकघरों की व्यवस्थाएं बदहाल हैं। ‘द टेलीकास्ट‘ सभी डाकघरों में आधुनिक जनरेटर की व्यवस्था होने के बावजूद भी उन्हें न चलाया जाना भी सवाल खड़ा करता है। ऐसे में केंद्र सरकार के उन दावों की पोल खुलती है जिनमे देश के नागरिकों को बेहतर सुविधाएं देने का दावा किया जाता है। ऐसे में कर्मचारियों व अधिकारियों को अपनी मक्कारी छोड़ कर जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है तभी आधुनिक भारत का निर्माण हो सकता है।

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