नई दिल्ली । आधार डाटा को पहले से ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए वर्चुअल आईडी को अनिवार्य कर दिया गया है। आपको बता दें कि यह 16 डिजिट का नंबर है जिसे आधार के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके लिए RBI ने सभी बैंक्स को सिस्टम में बदलाव करने का आदेश दिया गया था। इसके अलावा RBI ने सर्विस प्रोवाइज्रस को भी 30 जून तक सिस्टम में बदलाव करने के और 1 जुलाई से वर्चुअल ID स्वी कार करने का आदेश दिया गया था।वर्चुअल आईडी के लागू होने से धारकों को अपना आधार नंबर देने की जरुरत नहीं होगी। किसी भी प्रक्रिया के सत्यापन के लिए वर्चुअल आईडी देकर काम किया जा सकेगा। कुछ समय पहले आधार डिटेल्स लीक होने की खबर आई थी। वर्चुअल आईडी लागू होने से व्यक्ति की निजी जानकारी लीक होने का खतरा खत्म हो गया है।
UIDAI के मुताबिक, जिन टेलिकॉम कंपनियों और ई-साइन कंपनियों ने इस VID सिस्टम को लागू नहीं किया है उन्हें प्रति ट्रांजेक्शन 0.20 रुपये चार्ज देना पड़ सकता है। वहीं, अगर कंपनियों इस सिस्टम पर माइग्रेट कर लेती हैं तो 1 जुलाई से 31 जुलाई तक जो भी चार्ज लगा होगा उसे वापस कर दिया जाएगा।
जानें क्या है वर्चुअल आईडी?
वर्चुअल आईडी एक 16 अंकों का विशिष्ट नंबर है जिसे आधार धारक द्वारा बनाया व बदला जा सकता है। वर्चुअल आईडी को आधार धारक कई बार बदल सकते हैं। फिलहाल वर्चुअल आईडी न्यूनतम एक दिन के लिए वैध है। इसका मतलब आधार धारक वर्चुअल आईडी को एक दिन के बाद रीजनरेट कर सकते हैं। वर्चुअल आईडी की एक्सपाइरी डेट के बार में फिलहाल कुछ नहीं कहा गया है। ऐसे में एक वर्चुअल आईडी तब तक के लिए वैध होगी जब तक आधार धारक नई आईडी नहीं बना लेते हैं। एक समय पर किसी भी आधार कार्ड के लिए केवल एक ही एक्टिव वर्चुअल आईडी हो सकती है।
वर्चुअल आईडी की यहां पड़ेगी जरूरत:
आपको बता दें कि वर्चुअल आईडी की सभी भुगतान बैंक, बीमा कंपनी, एनपीसीआई, पीपीआई, एनबीएफसी, टेलिकॉम ऑपरेटर या अन्य एजेंसियों पर सत्यापन के लिए जरुरत होगी। यह आधार नंबर का विकल्प है जिससे आधारकार्ड धारक की गोपनियता बनी रहेगी।