सूचना अधिकार अधिनियम के लिए दिया गया अधिकारियों का प्रशिक्षण

फतेहपुर। न्यूज वाणी रजिस्ट्रार राज्य सूचना आयोग जितेन्द्र मिश्रा की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट महात्मा गांधी सभागार में जन सूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारियों के साथ प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षणदाता डा0 विपिन कुमार, स्टेट रिसोर्स पर्सन द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत जन सूचना अधिकारियों/प्रथम अपीलीय अधिकारियों को बताया कि उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली 3 दिसम्बर 2015 में प्रख्यापित की गयी। उन्होने बताया कि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के आधीन किसी लोक प्रधिकरण से सूचना अभिप्राप्त करना चाहता है तो लिखित रूप में या इलेक्ट्रानिक युक्त के माध्यम से सम्बन्धित लोक प्रधिकरण के राज्य लोक जन सूचना अधिकारी से प्रारूप-2 पर दिये गये प्राविधान में मांगा जा सकता है। किन्तु सादे कागज पर लिखित सूचना अभिप्राप्त करने हेतु प्रस्तुत अनुरोध एवं साथ में प्रारूप-2 में यथा आपेक्षित समस्त विवरणों को राज्य लोक जन सूचना अधिकारी द्वारा पं्राप्त की जा सकती है। यदि सूचना व्यक्ति के जीवन से सम्बन्धित है तो 48 घण्टे में सूचना देनी होगी तथा सूचना में व्यक्ति का नाम/हस्ताक्षर लिखा है तो सूचना देनी होगी यदि व्यक्ति का नाम नही है तथा कम्पनी का नाम लिखा है तो कतई सूचना न दी जाये। उन्होने बताया कि प्रारूप नम्बर-6 पर शिकायत ली जाये व साथ में पोस्टल आर्डर/बैंक ड्राफ्ट संलग्न होना चाहिये। नकद धनराशि न ली जाये। बीपीएल श्रेणी के व्यक्तियों से शुल्क न लिया जायें, का प्रमाण पत्र होना आवश्यक है तथा प्राप्ति की रसीद भी शिकायतकर्ता को उपलब्ध कराया जाये। पर उन्होने बताया कि सूचना देने का रजिस्टर नं0-3 बनाया जाये तथा प्रत्येक दिन प्राप्त होने वाली/निस्तारित होने वाली प्रार्थना पत्रों को अंकित किया जाये। नियम-4 (2) के अन्र्तगत परीक्षण करने के बाद सूचना समय से देना होगा। यदि मांगी गयी सूचना उपलब्ध नही है कि भी सूचना विवरण सहित उपलब्ध कराना होगा। यदि शिकायतकर्ता काल्पनिक प्रश्न का सूचना मांगता है तो कतई न दिया जाये तथा विधिक कारण दिखाकर उसे खत्म कर दें। नियम-4(2)ग के अन्र्तगत मांगी गयी सूचना 500 शब्दो से अधिक मांगी जाती है तो कतई न दी जाये और आपसे सम्बन्धित नही है तो 05 दिन के अन्दर सम्बन्धित को अन्तरण कर दी जाये और रजिस्टर नं0-3 पर तिथिवार कर अंकित कर लें और फीस कोषागार में जमा करा दें। पीआईओ अधिकार है कि नियम 5(4) के तहत सहायता मांग सकते है और सूचना न देने पर नियम (5) 5 के तहत कार्यवाही की जा सकती है। यदि कोई कोई सूचना की पत्रावली निष्प्रोज की गयी है और उसकी फोटोप्रति या लिस्ट उपलब्ध है तो उसकी प्रति शिकायतकर्ता को देनी होगी। उन्होने बताया कि सामान्य प्रकार की सूचना नियम 07(1) के तहत 30 दिन में मानव जीवन से सम्बन्धित 48 घण्टे में व मानवाधिकार की सूचना नियम 11(3) के तहत 45 दिन में देना होगा। बिना तर्क संगत कारणों से यदि आवेदन को अस्वीकार किये जाये जानबूझकर भ्रामक या अपूर्ण सूचना दी गयी हो या सूचना को नष्ट किया गया है तो सूचना देने में बाधा उत्पन्न की हो तो धारा-20(1) के तहत 250/-रू0 से लेकर 25000/- रू0 तक अर्थदंड तथा धारा-20(2) के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है। जन सूचना अधिकारी के निर्णय से असंतुष्ट होने की दशा में आवेदन 30 दिनों भीतर प्रारूप 13 पर प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है। उन्होने कहा कि धारा 4(1) में कार्यालय में योजना का नाम, लाभार्थी की सूची कार्यरत कर्मचारियों की सूची, क्या-क्या कार्य होते है अपनी वेबसाईट पर लोड कर ले तो कुछ समस्या कम हो सकती है। अन्त में उन्होने कहा कि यदि प्रशिक्षण में बतायी गयी बातों के अलावा निस्तारण में में समस्या आती है तो उपलब्ध करायी गयी जन सूचना बुकलेट को पढ़कर आसानी से निस्तारण किया जा सकता है। जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह ने अधिकारियो ंसे कहा कि सूचना के अधिकार के तहत सूचना देना अनिवार्य है सूचना न देना अपवाद है आप सूचना अधिकार के तहत मांगी गयी सूचना को निर्धारित समय सीमा के अन्दर शिकायतकार्ता को उपलब्ध करा दें ताकि शिकायतकर्ता अपीलीय अधिकारी तक न जा सकें। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी जेपी गुप्ता, उपजिलाधिकारी खागा, बिन्दकी, सदर सहित जनपद के जन सूचना अधिकारी उपस्थित रहें।

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