हरदोई। न्यूज वाणी भारत सरकार ने प्रत्येक घर को रोशन करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य आरंभ किया। जिसका सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा है। एक ग्राम में विद्युतीकरण कराने के लिए एड़ी चोटी का प्रयास करना पड़ता था। सांसद विधायक तक दौड़ते-दौड़ते चप्पल घिस जाती थी। तब कहीं जाकर विद्युतीकरण हो पाता था। लेकिन वर्तमान सरकार ने विद्युतीकरण कराने में क्रांतिकारी कार्य कराया है। ऐसे में विकासखंड कछौना का एक गांव गोसवां में दो दशक पूर्व पूर्ववर्ती सरकार ने अंबेडकर योजना के तहत विद्युतीकरण कराया था। गांव में खम्भे व तार व ट्रांसफार्मर का कार्य पूर्ण हो गया था। ग्रामीणों में गांव की रोशनी होने की अलग जग गई। पूरा गांव दलित बाहुल्य हैं। पहली बार किसी सरकार ने गरीब दलितों का दर्द जाना , लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। परंतु वह खुशी ज्यादा दिन नहीं रह पाई। वह एक माह बाद ट्रांसफार्मर फुंक जाने के बाद कांफूर हो गई। उसके बाद उस गांव को ट्रांसफार्मर वापस नहीं आया। विभागीय अधिकारियों के सिस्टम के आगे आम जनमानस मायूस हो गए हैं।विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते एक बल्ब तक नहीं जला सके सके। ग्रामीणों ने गांव में विद्युतीकरण के लिए दर्जनों बार ट्रांसफार्मर बदलवाने की मांग की परंतु उनकी शिकायत सुविधा शुल्क के बिना कूड़े के ढेर में डाल दी गई। ग्रामीण अर्जुन लाल , गजेंद्र , प्रवीण , प्रभाष , राधेश्याम आदि ने जनसुनवाई के माध्यम से शिकायत की। दो दशक के बाद भी केवल ट्रांसफार्मर न बदले जाने के कारण ग्रामीण अंधेरे में जीने को विवश है। यह गांव सरकारी सिस्टम की पोल खोल रहा है। कि विभागीय अधिकारी सरकार की मंशा पर कैसे पलीता लगा रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा हमें दलित होने की सजा मिल रही हैं। इस संदर्भ में अधिशासी अभियंता ने बताया उक्त गांव को सौभाग्य योजना के तहत चयन हेतु प्रस्ताव भेज दिया गया है। कार्यदाई संस्था द्वारा विद्युतीकरण का कार्य सितंबर 2018 तक करा दिया जाएगा। यहां भी अधिकारी गोलमाल करने में जुट गए हैं। जब केवल ट्रांसफार्मर बदलना है। तब विद्युतीकरण के लिए प्रस्ताव की बात का क्या औचित्य है। आखिर जो ट्रांसफार्मर कर्मचारी उठा ले गए हैं। वह किसकी जेब में चला गया है।