लखनऊ। एशिया की सबसे बड़ी बाणसागर नहर परियोजना की कुल लंबाई 171 किलोमीटर की है। इसके निर्माण में 3420.24 करोड़ रुपये कुल लागत आई है। बाणसागर परियोजना से मिर्जापुर व इलाहाबाद के साथ ही करीब लाखों किसानों को सीधे तौर पर फायदा मिलने का दावा किया जा रहा है। इसके साथ ही इसका लाभ बिहार तथा मध्य प्रदेश के किसानों को भी मिलेगा।
विंध्य क्षेत्र की बहुउद्देशीय बाणसागर नहर परियोजना का कार्य पूरा होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इसका उद्घाटन मिर्जापुर के चनईपुर गांव से किया। यह एक ऐतिहासिक पल है जब एशिया की सबसे बड़ी नहर परियोजना का उद्घाटन कर प्रधानमंत्री ने इसे देश को समर्पित किया। 3500 करोड़ की लागत से बनी इस 170 किमी नहर परियोजना के उत्तर प्रदेश हिस्से का कार्य इसके शिलान्यास के 39 वर्ष बाद पूरा किया जा सका है।
इस परियोजना का लाभ प्रदेश के मिर्जापुर व इलाहाबाद के असिंचित क्षेत्रों के 1.70 लाख किसानों को होगा। बाणसागर नहर से दोनों जिलों में 150131 लाख हेक्टेयर फसलों की सिंचाई संभव हो सकेगी। जिसमें मिर्जापुर में 75 हजार 309 हेक्टेयर और इलाहाबाद में 74 हजार 823 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी।
सिंचाई की सुविधा के मामले में यह इलाका काफी संकटग्रस्त माना जाता था। वहीं मीरजापुर जिले के पहाड़ी इलाके में गर्मी शुरू होते ही पानी की समस्या खड़ी हो जाया करती थी। ऐसा माना जा रहा है इस परियोजना के पूरा होने के साथ सूखे की समस्या से जूझ रहे इस क्षेत्र को निजात मिल पाएगी।बाणसागर परियोजना की परिकल्पना मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र में होने वाली वर्षा की अनिश्चितता को देखते हुए और उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य के कुछ सर्वाधिक सूखा ग्रस्त क्षेत्रों को सिंचित करने के लिए की गई थी। इस परियोजना के निर्माण के लिए मध्य प्रदेश ने 50 फीसदी, उत्तर प्रदेश ने 25 फीसदी और बिहार ने 25 फीसदी वित्तीय सहायता देना स्वीकार किया था। इस परियोजना के लिए 1977 के मूल्य के आधार पर 1978 में 322.30 करोड़ रुपये स्वीकृत थे। शिलान्यास जनता सरकार के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 14 मई 1978 को किया था। परियोजना का काम दस साल में पूरा किया जाना था, लेकिन वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता और सहभागिता के अनुसार अंशदान का भुगतान समय से न होने के कारण परियोजना के कार्य लटकता गया। मध्य प्रदेश के हिस्से में इस महत्वाकांक्षी अंतर्राज्यीय परियोजना को 2006 में पूरा कर लिया गया। जिसका उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2006 में किया था।
सोन नदी पर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार की बहुउद्देशीय बाणसागर नहर परियोजना का मुख्य बांध मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के देवलोंद गांव के पास है। मुख्य बांध की कुल लंबाई 1020 मीटर है जिसमें से 671.72 मीटर का पक्का बांध है. बांध में जल निकासी के लिए 50-60 फुट के रेडियल क्रेस्ट गेट लगाए गए हैं। मध्य प्रदेश में परियोजना का डूब क्षेत्र 58400 हेक्टेयर है, जिससे 336 गांव प्रभावित हुए। इनमें से 79 गांव पूरी तरह डूब गए, जबकि 257 गांव यहां पर आंशिक तौर पर डूबे। इस बाण सागर परियोजना से मध्य प्रदेश में 1.54 लाख हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 1.50 लाख हेक्टेयर और बिहार राज्य में 94 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी।
उत्तर प्रदेश के हिस्से की ऐतिहासिक बाणसागर नहर परियोजना का कार्य 1997 में शुरू हुआ था। एशिया की इस सबसे बड़ी परियोजना पर लगभग 3500 करोड़ रुपए खर्च आया है।170 किमी टनल व नहर के माध्यम से परियोजना को पूरा किया गया है। 21 वर्ष बाद आखिरकार उसे पूरा कर लिया गया है।बाणसागर परियोजना की कुछ संक्षिप्त जानकारी यू है। जैसे परियोजना शुरू- 1997-98,मूल लागत- 330.19 करोड़,पुनरीक्षण लागत- 2017 में 3420.24 करोड़,केंद्रीय सहायता- 995.56 करोड़ होगी।