लखनऊ। परिवहन निगम घोटालों का निगम बनता जा रहा है। इसी क्रम में एक और घोटाला सामने आया है। परिवहन निगम की वेबसाइट हैक करके सैकड़ों टिकट ऑनलाइन बन गए। लोगों ने इस टिकट पर यात्रा भी कर ली। और टिकट का पैसा परिवहन निगम के खाते में आज तक नहीं पहुंचा। निगम मुख्यालय पर गठित आडिट टीम ने इस बात का खुलासा किया है कि दस लाख रुपये के ऊपर के फर्जी टिकट जारी हुए है।
जांच टीम ने इस घटना क्रम में किसी सिंडिकेट के शामिल होने की आशका जताई है। सबसे पहले जांच में 23 टिकट का मामला सामने आया था। इसके बाद आडिट टीम ने जांच किया तो चार से पांच सौ फर्जी टिकट जारी होने की पुष्टि की है। वेबसाइट से सभी टिकट एक दो आईडी से बनाए गए है। जारी टिकटों की कीमत सौ रुपये से एक हजार रुपये तक है। सभी टिकटों की कीमत तकरीबन दस लाख रुपये बताया जा रहा है। ऐसे में जारी किए गए टिकट का पैसा कहां गया? किसके खाते में गया? इस बात की जांच के लिए किसी बहारी जांच एजेंसी से जांच कराने की तैयारी है।सहायक प्रबंधक वित्त एसके मूर्ति ने बताया कि जांच में इस बात की पुष्ठि हो गई है कि वेबसाइट हैक करके फर्जी टिकट जारी किए गए हैं। इस पूरे मामले की रिपोर्ट सोमवार को एमडी पी गुरु प्रसाद को सौंपेंगे। जांच टिकट में जो भी तथ्य सामने आए है। उससे सही समय में जांच कराकर मामले का खुलासा किया गया है। वरना यह मामला बड़ा हो सकता था।
परिवहन निगम की ऑनलाइन टिकट बुकिंग की वेबसाइट यूपीएसआरटीसी डॉट कॉम की निगरानी ट्राईमैक्स के जिम्मे है। ऑनलाइन टिकट बुकिंग का साफ्टवेयर सेवा प्रदाता कंपनी ट्राईमैक्स ने ही बनाया है। वेबसाइट को किसी सिंडीकेट ने सेंध लगाया है। इस पूरे फर्जीवाड़े में ट्राईमैक्स के लोग रडार पर है। इनसे भी जांच के दौरान पूछताछ की जाएगी।बीते पांच जुलाई को ऑनलाइन फर्जी टिकट जारी होने का खुलासा हुआ था। जिसमें तीन जुलाई को जारी 56 टिकट ऐसे मिले थे। जिनका पैसा निगम के खाते में नहीं पहुंचा था। आठ जुलाई को जांच में खुलासा हुआ कि 23 टिकट ऐसे मिले है जिनका पैसा परिवहन निगम के खाते में पांच दिन बाद भी नहीं पहुंचा। बाकी टिकट का पैसा पहुंच गया है। यहीं से फर्जीवाड़े की जांच शुरू हुई। जहां अब तक जांच में पांच सौ से ज्यादा फर्जी टिकट जारी होने का खुलासा हुआ है।