जौनपुर। कौन कहता है कि ,गरीबो के सपने साकार नहीं होते है, दुनिया की पूरी कायनात बदल जाती है ,अगर दिल में सही आश जो होते है,” किसी ने सही कहा हैं कि अगर आदमी के दिल में कुछ कर गुजरने की तम्मना होती है और सच्चे दिल से कुछ करना चाहे तो जरूर एक दिन कामयाबी मिलती ये बाते सच कर के साबित कर दिखाया है।
जौनपुर जिले के बदलापुर तहसील के भगवानपुर गांव के माटी के लाल कमलेश मौर्या ने साबित कर दिया की आदमी कुछ करना चाहे तो सब कुछ सम्भव होता हैं, कमलेश मौर्या जी की कहानी भी एक फिल्म स्टोरी की तरह ही है पढ़ाई लिखाई के छेत्र में शुरू से ही होशियार रहने वाले कमलेश किसी कारणवश आज से 10 साल पूर्व पत्नी के साथ घर से दूर चले इन बीते समय में कमलेश जी ने अपना परिवार चलाने के लिए कई मुशीबतों का सामना किया। काम न मिलने के कारण सब्जी बेचने के साथ साथ मकान बनाना और लेबर का भी काम किया लेकिन अपनी मंजिल को कभी भूल नहीं पाए और अपने हौसले को कभी कम नहीं होने दिया ।आज वही कमलेश पता नहीं कितने लेबर और कर्मचारियों का अधिकारी बन गया, कमलेश जो की एक किसान के परिवार से है जिनका चयन एक *अलुमिनियम और स्टील छेत्र की मल्टी नेशनल कंपनी मानकसिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड (एम.आई. एल.)* में सालाना सात लाख के पैकेज पर हुआ है, इस कंपनी में उत्तर प्रदेश के लगभग 50 अभ्यार्थी इंटरब्यू के लिए गए थे जिसमें से उत्तर प्रदेश से कमलेश जी का चयन हुआ जिससे छेत्र और गांव के सभी लोग ख़ुशी जाहिर किये हुए है ।लोगो का कहना है कि कमलेश ने ये मुकाम हासिल कर के हम सब का और हमारे भगवानपुर गांव का नाम रोशन किया है। कमलेश चार भाईयो में सबसे छोटे है इनके पिता जी एक मामूली से किसान थे जो अनपढ़ होते हुए भी अपने बेटों को पढ़ाया और इस लायक बनाया आज ओ इस दुनिया में नहीं है ।बाकी इनके 2 भाई अध्यापक है सबसे बड़े भाई महेंद्र जी जो घर पर खेती का काम करते है ।अशोक कुमार मौर्य प्राइमरी में जौनपुर में अध्यापक है राकेश मौर्या जी इण्टर कालेज महराजगंज में अध्यापक है।इस विषय पर जब कमलेश जी से बात किया गया ।तो कमलेश जी ने इसका पूरा श्रेय अपने गुरुजनो और माता पिता और अपने बड़े भाई को देते है । जिनके मार्गदर्शन से आज ओ इस मुकाम तक पहुचे है।