न्यूज वाणी ब्यूरो
ऊँचाहार, रायबरेली। क्षेत्र में भूमाफियाओं का आतंक जोरों पर है जहाँ न सिर्फ बंजर भूमि पर कब्जा जमाया है बल्कि सुरक्षित भूमि भी इन भूमाफियाओं से अछूता नही है। आखिर ऐसी क्या वजह है कि राजस्व विभाग भी इनपर कार्रवाई करने से कतरा रहा है। स्थानीय प्रशासन भूमाफियाओं के सामने बौना साबित हो रहा है। दरअसल ऊँचाहार क्षेत्र का है जहाँ प्राचीन अभिलेखों में दर्ज तालाब को दबंग भूमाफियाओं द्वारा उसका अस्तित्व मिटाकर खाऊ-कमाऊ भूखण्ड बना दिया गया जबकि एक परिवार उसी तालाब के भरोसे जीवन यापन करता आ रहा था। किन्तु पैसों के लालच ने भूमाफियाओं को अंधा कर दिया है। आइये अब आपको रूबरू कराते हैं इस खबर से ताजा मामला नगर स्थित मोहल्ला महादेवन का है राजू पुत्र पन्नालाल व उसके पूर्वज एक अर्से से तालाब के भरोसे से जीवन यापन करता चला आ रहा था। बीते दिनों से तालाब खाली पड़ा था प्रश्नगत भूमि पुराने दस्तावेजों में बतौर तालाब दर्ज है। किन्तु कुछ लोगों द्वारा उसी तालाब को कर्मचारियों, अधिकारियों से साँठ गाँठ करके बिना किसी आदेश के दस्तावेजों में फिर बदल कर दिया गया तथा अब नगर के ही कुछ दंबगों की तालाब की भूमि पर नियत खराब हो गई और उसपर कई भूखण्ड बना दिया। इस बावत भुक्तभोगी राजू ने आला अधिकारियों से शिकायत की किन्तु स्थानीय प्रशासन के मिली भगत से मामला ज्यों का त्यों पड़ा है। विवश होकर पीड़ित राजू ने हाईकोर्ट में दाखिल पीआइएल में बताया कि मोहल्ला महादेवन स्थित गाटा संख्या 2490 बतौर तालाब दर्ज है। जिसमें उसके पूर्वज वर्षों से मछली पालन करके जीविकोपार्जन कर रहे थे। लेकिन पिछले कुछ साल से नगर पंचायत अध्यक्ष के पति व मुन्नवर आदि की शह पर कई लोग तालाब को पाटकर जबरन निर्माण कार्य कर रहे हैं। कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए बीती 14 अक्टूबर को डीएम व एसडीएम को जांच कर तालाब की भूमि से अवैध कब्जा हटवाने का आदेश दिया। इसके बावजूद तालाब से अवैध कब्जों का निर्माण न तो रोका गया और न ही हटाया गया है बल्कि हल्के के लेखपाल द्वारा अपनी रिपोर्ट में तालाब के अस्तित्व को ही नकार दिया है। जबकि पीड़ित ने पुराने दस्तावेजों में तालाब दर्ज होने का उच्च न्यायालय में दावा किया है। स्थानीय प्रशासन ने अबतक कार्रवाई नही किया और न ही कोई उम्मीद दिख रही है। अब पीड़ित फरियाद करे, यह उसे समझ में नहीं आ रहा है। क्योंकि रक्षक ही जब भक्षक बन जाए तो कौन सुनेगा, पीड़ित की आशंका भी जायज है। क्योंकि यहां प्रशासन को हाईकोर्ट का आदेश कोई मायने नहीं रखता है तभी तो तहसील क्षेत्र में आएदिन सरकारी व निजी जमीनों पर अवैध कब्जे की शिकायतें आती रहती हैं। लेकिन कार्रवाई न होने से रोजाना मामले बढ़ते जा रहे हैं। जो हकीकत है। प्रतीत होता कि है यहां अधिकारी-कर्मचारी अपनी जेबें भरने में मस्त हैं और फरियादी उनकी चैखट पर एड़ियाँ रगड़ते नहीं थकते।
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