फतेहपुर। न्यूज़ वाणी कानपुर, इलाहाबाद जैसे बड़े शहरो के मध्य बसे जनपद के सबसे बड़े तहसील मुख्यालय खागा को आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद आज भी एक अदद राजकीय बस अड्डे की दरकार है। चुनावी मौसम में अलग अलग राजनैतिक दलों द्वारा विकास की बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन नतीजा आज भी जीरो है। नगर के इस के इस क्षेत्र से ग्रामीणांचल के इलाकों से लेकर कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, मिर्जापुर, झांसी, इटावा, दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक की यात्रा करने वाले मुसाफिरों की एक बड़ी संख्या है जो अपने गंतव्य स्थान को जाने के लिए सड़को के किनारे खड़े होकर परिवहन निगम की बसों का इंतजार करने को मजबूर हैं। बरसात या गर्मी के दिनों में स्थिति और भी बदतर हो जाती है जहाँ महिलाएं एवं छोटे छोटे बच्चे सड़क के किनारे बदहवास हालात में बस का इंतजार करते हैं कई बार तो मुसाफिर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। जीटी रोड के दोनों ओर बसे खागा नगर के अंदर से ही कानपुर और इलाहाबाद की ओर से आने वाली बसों का संचालन किया जाता है चालक, परिचालक बसों को सड़क के किनारे खड़ी कर सवारियों को बिठाते और उतारते हैं। रोडवेज बसों के सड़क किनारे कड़ी होने से जाम की समस्या बनी रहती है। जाम से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा दोनों ओर से आने वाली बसों को खड़ी करने के लिए अलग अलग जगह का निर्धारण तो कर दिया गया जिसमे कानपुर की ओर से आने वाली बसों को नौबस्ता रोड में स्टापेज देने के बाद बाईपास चैराहे से इलाहाबाद की ओर वहीं इलाहाबाद से आने वाली बसों को जीटी रोड किनारे ठहराव देने के बाद फतेहपुर की ओर रवाना किया जाता है। तहसील मुख्यालय के साथ साथ मुख्य कस्बा होने पर जहाँ रेलवे स्टेशन, कचेहरी, कोतवाली, डाकघर, बैंक, बाजार, स्कूल, कालेज की सुविधा के साथ ही राजकीय बस स्टाप की दरकार बनी हुई है। परन्तु राजकीय बस अड्डा न होने लोगो को सड़क पर खड़े होने पर मजबूर होना पड़ रहा है। साथ ही स्कूली छात्र छात्राएं,महिलाएं, बच्चे तथा ग्रामीण इलाकों से खरीददारी के लिए बाजार आने वाले लोग भी जमकर परेशान होते हैं। स्थानीय निवासियों राजा त्रिपाठी, संजय गुप्त, ज्ञानेंद्र गुप्त, कमलेंद्र सिंह, बासदेव, संदीप तिवारी आदि लोगों ने बताया कि प्रमुख समस्या की ओर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं। प्रत्येक चुनावी समय में विभिन्न राजनीतिक दल के लोग बस अड्डा बनवाने का आश्वासन देते हैं लेकिन चुनावी मौसम बीतने के बाद अपने किये हुए वादों को भूल जाते हैं।