गर्भावस्था के दौरान महिलाएं कई तरह के शारीरिक और मानिसक बदलावों से गुजरती हैं। इस दौरान होने वाले बदलावों का उनकी दिल-दिमाग पर गहरा असर होता है। इस संबंध में हुए शोध में पता चला है कि गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था और प्रसव के दौरान हार्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है।
इस अध्ययन में कहा गया है कि 2002 से 2014 के बीच महिलाओं में गर्भावस्था में, लेबर के दौरान या प्रसव के बाद के शुरुआती हफ्तों में हार्ट अटैक की दर में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है।यह अध्ययन बुधवार के मेयो क्लीनिकल प्रोसीडिंग्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन के दौरान विशेषज्ञों ने 4.9 करोड़ प्रसव के आंकड़े जुटाए। उन्होंने देखा कि जन्म देने वाली महिलाओं में से 1061 को लेबर या प्रसव के दौरान हार्ट अटैक हुआ। 922 महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान प्रसव हुआ, जबकि 2390 महिलाओं को शिशु को जन्म देने के बाद हार्ट अटैक हुआ।
विशेषज्ञों ने कहा कि महिलाओं में यूं तो हार्ट अटैक की आशंका कम रहती है। मगर 2002 से 2014 के आंकड़े बताते हैं गर्भावस्था के दौरान उनके खतरे में इजाफा हुआ। शोध के दौरान उन्होंने देखा कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था या प्रसव के तुरंत बाद अस्पताल में रहते हुए हार्ट अटैक हुआ उनमें मृत्यु दर 4.5 फीसदी थी। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह आश्चर्यजनक रूप से काफी अधिक थी। उनका कहना था कि बच्चों को जन्म देने की उम्र में महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा न के बराबर होता है। एनवाईयू लैंगोन हेल्थ में मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर नैथेनियल स्माइलोविज का कहना है कि युवा महिलाओं में हार्ट अटैक होना असाधारण बात है। मगर प्रेगनेंसी और उसके तुरंत बाद का समय उनके लिए काफी संवेदनशील होता है। इस दौरान होने दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
हालांकि अब भी यह साफ नहीं हुआ है कि गर्भावस्था या बच्चे के जन्म के तुरंत बाद दिल की बीमारी होने के क्या कारण हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अब महिलाएं अधिक उम्र में गर्भधारण को तवज्जो दे रही हैं। अधिक उम्र की महिलाओं में युवा महिलाओं के मुकाबले दिल की बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि 20 से 30 साल की उम्र में गर्भवधारण करने वाली महिलाओं के मुकाबले 35 से 39 साल की उम्र में गर्भवती होने वाली महिलाओं को हार्ट अटैक होने की आशंका पांच गुना तक बढ़ जाती है। यह खतरा 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में और बढ़ जाता है। मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियां इस खतरे में इजाफा करती हैं।