बांदा। जनपद के सभी क्रय केन्द्रों पर गेहूं की खरीद तो हो रही है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से एफसीआइ गोदामों के लिए गेहूं की डिलेवरी न होने से क्रय केंद्र गेहूं के बोरों से फुल हो गए हैं। जिससे खरीदे जा रहे गेहूं को गोदामों पर अनलोड न होने से क्रय केंद्र प्रभारी और आरएफसी दोनों ही परेशान है।इधर क्रय केंद्रों में गेहूं रखने की जगह न होने से खरीद ने भी सुस्ती पकड़ ली है। केंद्रों में किसान कई-कई दिनों से पड़े हुए हैं।
शुक्रवार को जनपद के विभिन्न एजेंसियों के गेहूं क्रय केंद्रों की पड़ताल की गई तो यह अव्यवस्थाएं सामने आईं। शहर के गल्ला मंडी स्थित डीसीडीएफ के क्रय केंद्र प्रथम,द्वितीय में अब तक खरीदा का गया सात मीट्रिक टन गेहूं भरा पड़ा है। गोदामों के लिए डिलेवरी न होने से अब खरीदे जाने वाले गेहूं के रखने की जगह नहीं है। ऐसे में खरीद की गति को केंद्र प्रभारी द्वारा जानबूझकर धीमी कर दी गई है। यहां पर कई गांवों के किसान गेहूं बेचने के लिए एक-एक हफ्ते से पड़े हुए हैं। ठहरने की व्यवस्था न होने से किसान ट्रैक्टरों के नीचे व ऊपर लेटकर रात गुजार रहे हैं। कमोवेश यही स्थिति पीसीएफ, विपणन, कर्मचारी कल्याण निगम की भी है। बबेरू के अनुसार खरीद केंद्रों पर गेहूं खरीद का पैसा किसानों को 72 घंटे के अंदर दे दिया जाना चाहिए। लेकिन हकीकत इससे कहीं परे हैं। किसानों का भुगतान हफ्तों नहीं किया जा रहा है। संवाद सहयोगी अतर्रा के अनुसार कृषि उत्पादन मंडी में खुले गेहूं क्रय केंद्रों में किसानों को शासन द्वारा प्रदत्त सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। मनोज कुमार ग्राम तुर्रा, प्रेमचंद ग्राम आउ व रवि ¨सह ग्राम हस्तम का कहना है कि केंद्रों में पल्लेदारी के नाम पर 2 किलो प्रति ¨क्वटल व उतराई, छनाई के नाम पर 35 रुपए अलग से लिया जाता है। मंडी परिषद के विश्राम गृह में ताला बंद था। पेयजल के लिए पांच हैंडपम्प लगे हैं लेकिन तीन खराब पड़े हुए हैं। सहकारी समिति में खुले दो खरीद केंद्र क्रय विक्रय एवं सहकारी समिति में खुले आसमान के नीचे धूप में तौल की जा रही है।
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