नाबालिक लड़कों से काम करवाना कानूनन अपराध है यह कथन मात्र श्रम विभाग के कागजी कार्रवाई तक में ही सीमित रह गया है_मुन्ना बक्श
अतर्राे – बाँदा । धरातल में गरीबी एवं भूख से मारे बच्चों को अपने पढ़ाई लिखाई छोड़ कर सड़क,मैदान एवं नालियों का कबाड़ निकालकर उसे बेचकर उससे मिले पैसों को घर खर्च चलाने व अपने माँ-बाप की मदद करने को मजबूर है l इस भीषण कोरोना संक्रमण में बिना मास्क व संक्रमण फैलने के भय से दूर दिन रात कबाड़ बीनने को मजबूर है l बच्चों ने प्रशासन के द्वारा गरीब बच्चों की सुध न लेने पर भविष्य को अंधकार में होना बताया है l
कस्बे के नरैनी रोड में स्थित गौरा बाबा धाम मंदिर के प्रांगण पर स्थित विशाल मैदान में 9 से 15 वर्ष के चार नाबालिक बच्चे सुबह प्लास्टिक की बोतल, लोहा, गत्ता, इकट्ठा करने में मशगूल थे l इन चारों से नाम पूछने पर इन्होंने अपना- अपना नाम मोनू (12), रोशन (11 ), बुद्धविलास (13) एवं राकेश (9) बताया l
12 वर्ष का मोनू कस्बे के गंगेही तालाब के पास का निवासी है l परिवार में माता-पिता के अलावा कुल तीन भाई एवं चार बहने हैं l इसी तरह सिविल लाइन निवासी रोशन(11) के घर में माता-पिता सहित तीन भाई एवं चार बहने हैं l नरैनी रोड गोखिया मोड़ के नजदीक बुद्ध विलास(13) घर में माता-पिता सहित दो अन्य भाई है एवं राकेश(9) के घर में माता-पिता सहित कुल पांच भाई एवं एक बहन है l सभी बच्चों के माता-पिता बाजार में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं l
इन चारों बच्चों की टोली पिछले 7 महीनों से लगातार प्रतिदिन सुबह अपने घरों से निकलकर कस्बे के अलग-अलग जगहों पर जाकर प्लास्टिक की बोतल, कचड़ा, कागज, लोहा, गत्ता आदि सामान को इकट्ठा कर बिसंडा रोड रेलवे क्रॉसिंग के नजदीक खुली हुई कबाड़ की दुकान में बेचकर उससे मिले पैसे आपस में बराबर बाँटकर अपने अपने घरों में माता-पिता को राशन सामग्री एवं अन्य खर्चों में सहयोग करते हैं l सभी अनुसूचित जाति के तबके से जुड़े है l huअनुसूचित तबके के मोनू ने बताया कि वह कभी स्कूल की चौखट तक को नहीं देखा, घर में गरीबी होने के कारण वह अशिक्षित है l उसके अन्य दो भाई एवं चार बहने भी अशिक्षित होने के साथ माता पिता के कामों में सहयोग करती है l रोशन सरकारी स्कूल में कक्षा 4 तक ही पढ़ पाया, उसके बाद घर खर्च में मदद करने के लिए कबाड़ बीनने का काम शुरू कर दिया l बुद्ध विलास भी कक्षा 2 तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी l राकेश ने कक्षा 6 तक की शिक्षा अपने घर के नजदीक प्राइवेट प्राइमरी स्कूल में किया है l चारों लड़कों में से तेजतर्रार राकेश ने बताया कि पहले वह सभी अलग-अलग कबाड़ बीनने का काम करते थे लेकिन पिछले लगभग 6-7 महीने पहले हिंदू इंटर कॉलेज के मैदान में कबाड़ बीनते समय अन्य 3 लोगों से मुलाकात हुई जब से वह सभी चारों एक साथ कबाड़ बीनकर उससे मिले पैसे से अपने मां-बाप को सहयोग करते हैं l मोनू ने बताया कि हम सभी लोगो को ना चाहते हुए भी यह काम करना पड़ता है l घर की रोजी रोटी चलाने मैं अपने माता-पिता का सहयोग के लिए ऐसा काम करने को वह सभी मजबूर है l
चेहरे में मास्क ना होने की बात बच्चों से पूछने पर उन सभी लोगों ने बताया कि कोई भी जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, या फिर सरकारी कर्मियों के द्वारा उन लोगों सहित उनके परिवार को मास्क,सैनिटाइजर या फिर राशन सामग्री की व्यवस्था नहीं उपलब्ध कराई गई l
उन सभी बच्चों से दोबारा शिक्षा से जुड़ने की बात पूछने पर पढ़ाई लिखाई से दोबारा नाता जोड़ने पर रुचि होना बताया l उन सभी बच्चों ने कहा कि सरकार एवं जनप्रतिनिधि हम जैसे हजारों बच्चों के भविष्य के बारे में सोच कर अच्छा कदम उठाएं और गरीबी में जी रहे तमाम परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराए l राकेश ने बताया कि कस्बे के तमाम होटल,रेस्टोरेंट, किराना दुकानों,चाट बताशा की दुकानों सहित अन्य जगहों में नाबालिग लड़को की गरीबी के चलते आमद रहती है,जो पैसों के लिए मजबूरी में काम के अलावा अधिकांश दूसरों के अभद्र व्यवहार के शिकार भी होते रहते है l