दुबई से सोनभद्र आया 31 दिन बाद रमेश का शव, बाथरूम में पैर फिसलने से 13 मई को हुई थी मौत

सोनभद्र। रमेश सिंह (45) का शव उनके परिजनों को मिल ही गया। 13 मई को बाथरूम में पैर फिसलने से उनकी मौत हो गई थी तबसे परिवार के लोग उनके शव को वतन वापस लाने की जद्दोजेहद कर रहे थे। सभी दरवाजे खटखटाने के बाद परिवार ने विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई थी। विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद मंगलवार सुबह रमेश का शव फ्लाईट से लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचा। शव लेने के लिए उनके परिजन एयरपोर्ट पर मौजूद थे।परिवार को अच्छी जिंदगी देने के लिए सोनभद्र के चोपन ब्लाक के गायघाट गांव निवासी रमेश सिंह पुत्र कृष्णबली सिंह फरवरी महीने में दुबई गए थे। दुबई में वह 25 हजार रुपये की सेलेरी पर सिविल का काम करते थे। सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन 13 मई को अचानक संदिग्ध परिस्थिति में बाथरूम में उनकी लाश मिली। दुबई से उनके साथ काम करने वाले दोस्तों ने रमेश सिंह के परिजनों को इसकी खबर दी। दोस्तों ने फोन पर बताया कि काम से लौटने के बाद कृष्णबली बाथरूम में नहाने गया था। नहाते समय बाथरूम में ही पैर फिसलने से उनकी मौत हो गई।रमेश का शव वापस लाने के लिए परिवार के लोग एक महीने से परेशान थे। उन्होंने रमेश के दोस्तों और कंपनी से सहयोग मांगा लेकिन कंपनी ने उनकी कोई मदद नहीं की। उन्होंने दुबई ले जाने वाली प्रोरिएंट बिल्डिग कांट्रेक्टिग लिमिटेड के जिम्मेदारों से भी संपर्क किया लेकिन उन्होंने भी कोई मदद नहीं की। इसके बाद परिवार ने विदेश मंत्रालय भारत सरकार से गुहार लगाई। विदेश मंत्री को ट्वीटर के माध्यम से जानकारी दी। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने मामले का संज्ञान लेते हुए सहयोग किया फिर दुबई से शव लाने का प्रयास शुरू हो सका। करीब 31 दिनों के बाद रमेश का शव परिजनों को सौंपा गयारमेश सिंह के परिजनों ने बताया कि सोमवार को लखनऊ एयरपोर्ट से उनके पास फोन आया था कि मंगलवार को सुबह आठ बजे रमेश का शवलखनऊ एयरपोर्ट पहुंचेगा। शव लेने के लिए परिवार से सुबह लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचने के लिए कहा गया था। खबर मिलते ही हमलोग सोमवार रात में सोनभद्र से रवाना हो गए थे। सुबह दुबई से फ्लाईट आने के बाद परिजनों को शव सौंपा गया।रमेश सिंह के चाचा के लड़के भूपेंद्र ने बताया कि उनके परिवार में दस लोग हैं। तीन भाईयों में वह दूसरे नंबर पर थे। बड़े भाई दूध बेचकर परिवार चलाते हैं जबकि कोराना लॉकडाउन में छोटे भाई की नौकरी चली गई थी। तब से वह बेरोजगार था। ऐसे में रमेश पर ही परिवार बोझ था। पहले वह गुजरात में मकान निर्माण का काम करते थे लेकिन फरवरी में अच्छी कमाई के चलते दुबई चले गए थे। तब से वह दुबई में ही थे।

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