जब एक इंसान को लगाया गया  लंगूर का  लिवर तो वह रहा  70 दिन तक जिंदा 

बता दे अमेरिका में रहने वाले 34 साल के थॉमस  का लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा था। उनके लिवर के अंदरूनी हिस्सों में ब्लीडिंग हो रही थी। जब थॉमस ने लिवर की जांच करवाई तब पता चला कि उन्हें हेपेटाइटिस बी और एड्स दोनों हैं। इसी दौरान थॉमस का एक एक्सीडेंट हुआ जिसमें स्पलीन  में काफी घाव हुए और बाद में उनकी स्पलीन को भी निकालना पड़ा।  थॉमस को डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी लेकिन थॉमस को इतनी सारी बीमारियां थीं कि कोई भी डॉक्टर ट्रांसप्लांट करने को तैयार नहीं था। थक-हारकर थॉमस जनवरी 1992 में पिट्सबर्ग आए। इस समय पीलिया, लिवर में परेशानी, हेपेटाइटिस और एड्स की वजह से उनकी हालत दिन-ब-दिन गिरती जा रही थी।आखिरकार पिट्सबर्ग के डॉक्टर थॉमस स्टार्जल और डॉक्टर जॉन फंग लिवर ट्रांसप्लांट करने को राजी हुए। ये दोनों डॉक्टर उस समय अमेरिका में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए मशहूर थे। दोनों डॉक्टरों ने तय किया कि थॉमस को लंगूर का लिवर ट्रांसप्लांट किया जाएगा।उस समय माना जाता था कि लंगूर के लिवर पर HIV (AIDS) वायरस का कोई असर नहीं होता है। साथ ही अलग-अलग मेडिकल इंस्टीट्यूट्स में लंगूर के लिवर ट्रांसप्लांट को लेकर कई रिसर्च भी की जा रही थी। टेक्सास के साउथवेस्ट फाउंडेशन फॉर रिसर्च एंड एजुकेशन से 15 साल के एक लंगूर को लाया गया। इस लंगूर और थॉमस का ब्लड ग्रुप एक ही था।डॉक्टरों की टीम ने एक जटिल ऑपरेशन के बाद आज ही के दिन यानी 28 जून को लंगूर के लिवर को थॉमस के शरीर में ट्रांसप्लांट कर दिया। 5 दिन बाद थॉमस को खाना खिलाना और चलाना शुरू किया गया। तीन हफ्तों बाद लिवर का वजन भी बढ़ गया और लिवर नॉर्मल फंक्शनिंग करने लगा।करीब 1 महीने बाद थॉमस को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। इस समय तक ये लिवर ट्रांसप्लांट सफल था। पूरा चिकित्सा जगत इसे एक बड़ी उपलब्धि मान रहा था। हालांकि जानवरों से इंसानों में ये पहला ट्रांसप्लांट नहीं था। इससे पहले भी सूअर और लंगूर के अंगों को इंसानों में ट्रांसप्लांट किया गया था लेकिन उनमें से ज्यादातर लोगों की मौत ट्रांसप्लांट के एक महीने के भीतर ही हो गई थी।थॉमस हॉस्पिटल से घर पहुंचे लेकिन 21 दिनों बाद ही थॉमस के पूरे शरीर में संक्रमण फैल गया और गुर्दे ने काम करना बंद कर दिया। उन्हें वापस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और डायलिसिस शुरू किया गया। थॉमस के शरीर में धीरे-धीरे संक्रमण बढ़ता गया और ट्रांसप्लांट के 70 दिनों बाद थॉमस की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई।

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