*डाक्टर्स डे पर स्वैच्छिक रक्तदान शिविर*_संजीव शर्मा
डाक्टर्स डे पर 45 रक्तदाओं ने पंजीकरण तथा 42 रक्तदाताओं ने स्वैच्छिक रक्तदान किया*
न्यूज वाणी इटावा /सैफई 01 जुलाई (अनिल कुमार पाण्डेय)। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के पैथोलाजी एवं ब्लड बैंक विभाग तथा राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको)े के सहयोग से डाक्ट्रर्स डे पर स्वैच्छिक रक्तदान शिविर एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में 45 रक्तदाओं ने पंजीकरणकरायातथा42रक्तदाताओं ने स्वैच्छिक रक्तदान किया।कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) रमाकान्त यादव ने किया। इस अवसर पर पैथोलाजी एवं ब्लड बैंक विभागकीविभाागध्यक्षा डा0 पिंकी पाण्डेय, ब्लड बैक से प्रशासनिक अधिकारी डा0 विनीत चतुर्वेदी, असिस्टेन्ट प्रोफेसर डा0 अभय सिंह, डा0 श्वेता चैधरी, चिकित्सा अधीक्षक डा0 आदेश कुमार, सर्जरी विभाग के विभगाध्यक्ष डा0 एसपी सिंह, आर्थो विभाग के फैकेल्टी डा0 सुनील कुमार,कुलसचिव सुरेश चन्द्र शर्मा, प्रशासनिक अधिकारीउमाशंकर आदि उपस्थित रहे। स्वैच्छिक रक्तदान करने वालों में फैकेल्टी मेम्बर, स्टूडेन्ट्स, स्टाफ आदि रहे। सभीस्वैच्छिक रक्तदाताओं को ब्लड बैंक द्वारा प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया।इसअवसर परविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) रमाकान्त यादव ने कहा कि ब्ल्ड बैंक द्वारा डाक्ट्र्स डे पर स्वैच्छिक रक्तदान की पहल से रक्तदान की मुहिम को सकारात्मक बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि आज रक्तदान की भ्रान्तियों से जनसामान्य को जागरूक करने की आवश्यकता है। प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति का यह सामाजिक दायित्व है कि खुद रक्तदान करने के साथ-साथ अपने परिवार के सदस्यो, मित्रों एवं अन्य लोगों को भी स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रेरित करे।चिकित्सा अधीक्षक डा0 आदेश कुमार ने कहा कि हर वर्ष एक जुलाई को डाक्टर्स डे मनाया जाता है। इस वर्ष डाक्टर्स डे की थीम ‘‘बिल्डिंग ए फेयरर , हेल्दियर वल्र्ड‘‘ रखा गया हैं। उन्होंने बताया कि स्वैच्छिक रक्तदान हेतु कोई भी स्वस्थ व्यक्ति विश्वविद्यालय के ब्लड बैंक में कभी भी सम्पर्क कर स्वैच्छिक रक्तदान कर सकता है। कुलसचिव सुरेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि इस वर्ष डाक्टर्स डे कोरोना वायरस महामारी के मध्य आया है ऐसे में यह दिन और भी खास बन जाता हैं। यह दिवस बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री एवं महान चिकित्सक डाॅ बीसी राॅय के सम्मान में मानवता की सेवा में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में तकनीकी विकास के कारण एक व्यक्ति के दिये गये रक्त से दो-तीन मरीजों का जीवन बचाया जा सकता है। स्वैच्छिक रूप से रक्तदान के लिए आज सभी स्वस्थ व्यक्ति को आगे आने की जरूरत है।