2 धर्मों के बीच पला अमन आधार ने 10 साल बाद अपनों से मिलाया 8 साल की उम्र में हुआ था लापता आमिर, 18 कि उम्र में अमन के नाम से मिला अब दो परिवार का लाल बना
मध्य प्रदेश। कई बार असल जिंदगी भी फिल्मी लगती है। कुछ ऐसा ही हुआ जबलपुर के टेढ़ीनीम के रहने वाले आमिर उर्फ अमन (18) के साथ। 8 साल की उम्र में दिमागी रूप से कमजोर आमिर घर से स्कूल के लिए निकले तो पूरे 10 साल बाद अपनों से मिल पाए। ये अलग बात है कि इन 10 सालों की उनकी जिंदगी एक ऐसे हिंदू परिवार में गुजरी जो उसे बेटा बनाकर पाल रहे थे। उसका मानसिक इलाज कराया। 10वीं तक शिक्षा दिला चुके हैं। स्कूल के लिए आधार कार्ड बनवाने गए तब पता चला कि अमन नहीं ये जबलपुर का आमिर है। इसके बाद वह अपने असल परिवार तक पहुंचा।आमिर उर्फ अमन की जिंदगी का फ्लैशबैक ये है कि वह पिता अय्यूब उर्फ बबलू चांटी और मां मेहरूनिशा की तीन संतानों में सबसे छोटा है। 2011 में 8 साल की उम्र में वह घर से ठक्कर ग्राम स्थित शासकीय स्कूल के लिए निकला था। इसके बाद गायब हो गया। वह मानसिक रूप से कमजोर था। ठीक से बोल नहीं पाता था। मोहम्मद आमिर किसी ट्रेन में बैठकर नागपुर पहुंच गया। वहां रेलवे स्टेशन पर उसे भटकते हुए देख चाइल्ड लाइन वाले अपने साथ ले गए। आमिर खुद के बारे में कुछ नहीं बता पाया तो उसे समर्थ राजाराम दामले द्वारा संचालित अनाथालय में रखवा दिया। यहां उसे नया नाम मिला अमन।समर्थ दामले का ये अनाथालय 2015 में बंद हो गया। तब उनके पास अमन उर्फ आमिर ही रह गया था। समर्थ दामले ने उसे गोदे ले लिया। समर्थ और उनकी पत्नी लक्ष्मी से एक बेटा मोहित दामले और बेटी गुंजन पहले से हैं। तीसरी संतान के तौर पर अमन 21 फरवरी 2015 को इस परिवार में आया था। तब से ये परिवार उसका जन्मदिन 23 फरवरी को ही मनाने लगे। अमन ने 10वीं भी पास कर ली। 11वीं में प्रवेश दिलाने के लिए पिता पहुंचे तो वहां आधार कार्ड मांगा गया।
आधार कार्ड के जरिये मिला अपनों से
समर्थ दामले अमन को लेकर नागपुर स्थित मनकापुर के आधार सेवा केंद्र 3 जून को ले गए। वहां बायोमैट्रिक समस्या के कारण उसका आधार पंजीयन नहीं हो पा रहा था। केंद्र प्रबंधक ने UIDAI के बेंगलुरु स्थित तकनीकी कार्यालय व क्षेत्रीय कार्यालय मुंबई में संपर्क किया। वहां से पता चला कि आमिर का आधार पंजीयन 2011 में जबलपुर में हो चुका है। उसका असल नाम मोहम्मद आमिर और पिता का नाम मोहम्मद अय्यूब है। टेढ़ीनीम हनुमानताल का पता लिखा था। इस जानकारी के बाद समर्थ दामले ने इस परिवार से संपर्क करने की कोशिश की। वहां के स्थानीय पुलिस के माध्यम से जबलपुर के हनुमानताल थाने से बात हुई।
पहचान करने में लगे कई दिन
अमन की पहचान आमिर के रूप में हो गई। पिता का भी नाम मिल गया, लेकिन मुश्किल ये कि टेढ़ीनीम में कोई अय्यूब नाम से किसी को नहीं जानता था। कारण कि मोहम्मद अय्यूब का निकनेम बबलू चांटी है। वह इसी नाम से प्रसिद्ध है। उसकी टेढ़ीनीम में चाय व किराने की दुकान है। हनुमानताल पुलिस ने पूर्व पार्षद आजम खान और गुलाम हुसैन से संपर्क किया। आजम खान को भी बबलू का असल नाम नहीं पता था, पर ये मालूम था कि उसका बेटा 10 साल पहले गायब हो गया था। उन्होंने बबलू से उसके असल नाम पूछे और अय्यूब बताने पर कहा कि उसका बेटा नागपुर में दामले परिवार के पास है। इसके बाद परिवार हनुमानताल पुलिस के माध्यम से दामले परिवार से संपर्क कर पाया।
बेटे ने किया पहचानने से इनकार
नागपुर के पंचशील नगर में रहने वाले समर्थ दामले के घर अय्यूब उसकी बचपन की फोटो लेकर पहुंचे। समर्थ दामले ने तो बचपन की फोटो देखकर पहचान लिया कि अमन उर्फ आमिर का परिवार यही है, लेकिन अमन ने पहचानने से इनकार कर दिया। मायूस परिवार लौट गया, पर बाद में अमन को परिवार की धुधली सी याद ताजा हो गई। फिर उसे लेकर दामले परिवार जबलपुर आया। यहां हनुमानताल थाने में अय्युब के परिवार को बुलाया गया। वहां पुलिस की मौजूदगी में अमन को उसके परिवार वालों के सुपुर्द किया गया। दामले परिवार ने आंसुओं के बीच अपने इस तीसरे बेटे को विदा किया।
अब दो परिवारों का लाडला बना अमन उर्फ आमिर
अमन उर्फ आमिर अब दो परिवारों का लाडला है। 13 जुलाई को उसकी यशोदा’ मां लक्ष्मी का जन्मदिन था। वह जिद कर पिता के साथ बाइक से जबलपुर से नागपुर 250 किमी की दूरी तय कर पहुंचा। मां लक्ष्मी के जन्मदिन में शामिल हुआ और फिर उनका आशीष लेकर जबलपुर लौट आया। 10 सालों तक बेटे की तरह पालने वाली मां लक्ष्मी और समर्थ दामले भी रूधे गले से बोले कि उन्हें खुशी इस बात की है कि अमन अपने असल मां-बाप के पास पहुंच गया। 10 सालों तक बेटे से बिछुड़ने का दर्द आमिर के मां-बाप से अधिक कोई नहीं समझ सकता है। अमन के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे। वह हमारा तीसरा बेटा ताउम्र रहेगा।