नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हाथियों के संरक्षण को लेकर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को कई निर्देश दिए। इनमें रेलवे लाइन पर दुर्घटनाओं में मौत से हाथियों को बचाने के लिए एलीफेंट कॉरीडोर चिह्नित करने और वन गुज्जरों का पुनर्वास शामिल है। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने वन विभाग को निर्देश दिया कि वह रेलवे से विचार विमर्श कर एलीफेंट कॉरिडोर चिह्नित करे ताकि रेलगाड़ियों से हाथियों के टकराने की दुर्घटनाओं को टाला जा सके। इन कॉरिडोर में रेलगाड़ियों की गति अधिकतम 25 किमी प्रति घंटा तक सीमित करते हुए अदालत ने कहा कि इन्हें (कॉरिडोर) चिह्नित करने के बाद दो माह के भीतर खाइयां और भूमिगत पार पथ बनाए जिससे हाथियों को रेलवे लाइन पार न करनी पड़े।
न्यायालय ने रेलवे टैक पर असहाय हाथियों की मौतों को टालने के लिए रेलवे अधिकारियों को वन विभाग के साथ मिलकर आधुनिक वायरलेस एनिमल टैकिंग सिस्टम का प्रयोग करने को भी कहा। खंडपीठ ने हादसे रोकने को राज्य सरकार को राष्ट्रीय पार्कों, अभयारण्यों, संरक्षित वनों से गुजरने वाले राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर मोटर वाहनों की अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा तय करने का निर्देश दिया। अदालत ने राज्य सरकार को अंतिम अवसर देते हुए कहा कि वह बताए कि कितनी जल्दी इन ‘वन गुज्जरों’ का पुनर्वास किया जाएगा। खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख निर्धारित करते हुए कहा कि उस दिन अपर मुख्य सचिव मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के एक प्रतिनिधि के साथ फिर से अदालत में हाजिर होंगे।