लेजर से अब मार सकेगे कोरोना: होगा 50 मिली सेकेंड में कोरोना वायरस का  खात्मा, इटली के वैज्ञानिक ने बनाई लेजर मशीन,जानिए इसकी       क्या हैं खूबियां

बता दे कि दुनिया भर में तेजी से फ़ैल रहे  कोरोना वायरस से जहां एक तरफ हर रोज नए वैरिएंट देखने को मिल रहे हैं वहीं दूसरी तरफ वैज्ञानिक  इसे खत्म करने के नए तरीके खोजने में लगे हुए हैं।इटली में अब एक ऐसी डिवाइस बनाई गई है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि ये कोरोना वायरस को मार सकती है। यह लेजर डिवाइस चार दीवारी के भीतर मौजूद कोरोना वायरस कणों को मार सकती है।

इस डिवाइस को संयुक्‍त राष्‍ट्र के वैज्ञानिकों ने इटली की टेक कंपनी के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर बनाया है। उत्तरी इटली के शहर ट्रिस्टे में स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी और लेजर उपकरण बनाने वाली स्थानीय कंपनी एल्टेक के-लेजर ने मिलकर ये प्रयास पिछले साल शुरू किया था जब इटली कोविड-19 की मार झेल रहा था।एल्टेक कंपनी के फाउंडर फ्रेंचेस्‍को जनाटा हैं। उनकी कंपनी मेडिकल फील्‍ड में इस्‍तेमाल आने वाले लेजर प्रोडक्‍ट बनाती है।

यह  डिवाइस 50 मिलीसेकेंड में वायरस को खत्म कर देता है
डिवाइस में हवा को लेजर बीम से होकर गुजारा जाता है और वह वायरस और बैक्टीरिया को खत्म कर देती है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्‍नोलॉजी में कार्डियोवस्कुलर बायोलॉजी ग्रुप की प्रमुख सेरेना जकिन्या कहती हैं, इस डिवाइस ने लेजर टेक्नोलॉजी को लेकर मेरी सोच को पूरी तरह से बदल दिया है। यह डिवाइस 50 मिलीसेकेंड में वायरस को खत्म कर देता है। कोविड-19 महामारी के दौरान चारदीवारी के भीतर की जगहों को संक्रमण से मुक्त रखना एक बड़ी चुनौती साबित हुआ है। इस महामारी को फैलने से रोकने में अंदर वायरस-मुक्त माहौल एक जरूरत बन गया है।

इस डिवाइस को लेकर उठ रहे हैंलोगो के  सवाल
इस डिवाइस को लेकर कई वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस को मारने के लिए लेजर आधारित तकनीक सुरक्षित नहीं होगी। जर्नल ऑफ फोटोकेमिस्ट्री एंड फोटोबायोलॉजी में पिछले साल नवंबर में पब्लिश हुई एक स्टडी में लेजर आधारित डिवाइस से कैंसर का खतरा बताया गया था।

विज्ञानिको के मुताबिक  डिवाइस पूरी तरह सुरक्षित
जनाटा और जकिन्‍या दोनों ने ही इस तरह की रिपोर्ट को खारिज किया है। इनका मानना है कि इससे निकलने वाली लेजर कभी इंसान की त्‍वचा के संपर्क में नहीं आती है, इसलिए इससे कैंसर होने का भी खतरा नहीं है। उन्‍होंने ये भी कहा है कि ये डिवाइस पूरी तरह से सुरक्षित है। इसके अलावा ये रिसाइकिल प्रोडेक्‍ट है। जनाटा ने कहा है कि “हमारी डिवाइस कुदरत के खिलाफ कुदरत को इस्तेमाल करती है।”

डिवाइस को किसी जगह भी  साथ ले जाना है आसान
कंपनी को इस डिवाइस का पेटेंट मिल गया है। कंपनी की कोशिश है कि यह डिवाइस जल्‍द ही अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर ले जाया जाए। वहीं इसके छोटे आकार की वजह से इस कहीं भी ले जाना आसान है। इसकी ऊंचाई पांच फीट 9 इंच और वजन लगभग 25 किलोग्राम है। कंपनी का कहना है कि इसे एयरकंडीशनिंग यूनिट में भी लगाया जा सकता है।

इस डिवाइस की है  कुछ खामियां भी 
इस तकनीक की एक खामी यह है कि वायरस और बैक्टीरिया हवा में ही खत्म किए जा सकते हैं। अगर वे हवा से फर्श या किसी सतह पर गिर जाएं तो लेजर काम नहीं करेगी। इसके अलावा यदि वायरस छींक से या किसी के ऊंचा बोलने से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा तो यह लेजर उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। डिवाइस में दिलचस्पी दिखाने वालों में जर्मनी की ईकोकेयर कंपनी शामिल है जो वैक्सीनेशन की टेस्टिंग के क्षेत्र में काम करती है। ईकोकेयर के प्रवक्ता ने बताया हमारी कंपनी जर्मनी और यूएई के बाजार के लिए इस डिवाइस का लाइसेंस लेना चाहती है।

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