फतेहपुर। काजी-ए-शहर कारी फरीद उद्दीन कादरी ने कहा कि निकाह करना नबी हजरत मोहम्मद स0अ0 की सुन्नत है, इसलिए निकाह की रस्मों पर ध्यान न देकर सादगी के साथ निकाह को अंजाम दें। जिसके सबब निकाह में बरकत हागी और निकाह में शरीक होने वाले मेहमानों को जहमत नहीं उठानी पड़ेगी।
श्री कादरी ने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमाया कि चार चीज़े सुन्नते अम्बिया से है जिनमें हया करना, खुशबू लगाना, मिसवाक करना व निकाह करना शामिल है। इसके अलावा कुरआन व हदीस में बकायदा ईमान वालों को निकाह का हुक्म दिया गया है। शर्त ये है कि वह हलाल तौर पर अंजाम दिया जाए। इसलिए मुस्लिम समाज के लोग शादी व निकाह की रस्मों पर ध्यान न देकर सादगी के साथ निकाह को अंजाम दें। जिसके सबब निकाह में बरकत होगी और निकाह में शरीक होने वाले महमानों को ज़हमत उठानी न पड़े। उन्होने आहवान किया कि अहले सुन्नत वल जमात के लोग ये अहद करें कि अपने मरकज़ बरेली शरीफ के पैग़ाम पर अम्ल करते हुए शादी व निकाह में जाहीलाना रस्मों से परहेज करेंगे और आने वाली नस्लों को इन खुराफात से बचाने की कोशिश करेंगें क्योंकि इन बुरी रस्मों के खात्मे के लिए उमूमन मुसलमानों की खुसूसन उलमा ए केराम कीं जिम्मेदारी है। पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमाया कि तुममे से हर एक जिम्मेदार है और हर एक से उसकी जिम्मेदारी के बारे में सवाल होगा इसलिए उलमा-ए-केराम व अइम्मा हजरात अपने इलाके की जिम्मेदारी लेकर इस कारे खैर को आगे बढ़ाएं।