राजस्थान के अजमेर में 7 साल से अपने माता पिता से बिछड़ी किशोरी (17) का सपना सोमवार को पूरा हुआ। वह अजमेर के बालिका गृह में रह रही थी। सात साल पहले 10 साल की उम्र में पीड़िता का बीकानेर के शादी समारोह से अपहरण हो गया था। जिसे आरोपी नागौर ले आए थे। यहां गोटन कस्बे में रखा। इस बीच पुलिस ने अपहर्ता के चंगुल से छुड़ाया। बाद में उसे अजमेर भेज दिया गया। बालिका के माता पिता मूलत बिहार के सिवान जिले के रहने वाले हैं। जो गुजरात के मेसाणा की एक निजी कंपनी में मजदूरी का काम करते हैं।
बाल कल्याण समिति नागौर अध्यक्ष मनोज सोनी ने बताया कि बालिका अपने माता पिता के साथ बीकानेर शादी में आई थी। इस दौरान 2 अगस्त 2015 को बीकानेर से आरोपी युवक सलीम ने क़रीब दस वर्षीय बालिका का अपहरण कर लिया था। उसका अपहरण कर नागौर जिले के गोटन क़स्बे के एक मकान में बंधक बना लिया। युवक द्वारा एक बच्ची को बंधक बना लिए जाने की सूचना स्थानीय लोगों को लग गई थी। सूचना के आधार पर उस समय की मानव तस्करी विरोधी यूनिट नागौर ने उस आरोपी युवक से पीड़ित बच्ची और कुछ अन्य बालक-बालिका को भी छुड़ाया था। जो पहचान होने पर अपने परिजनों को सुपुर्द कर दिए गए। लेकिन माता पिता नही मिलने के कारण नन्ही बालिका को अजमेर के बालिका गृह में रखा गया।
पहली बार में नही पहचाना अपने माता-पिता को
जब बालिका ने अजमेर में अपने माता पिता के बारे में बताया तो पुलिस ने पता कर इन्ही माता पिता को उस समय भी बुलाया था। बालिका डरी सहमी थी। अपने माता पिता को पहचान नहीं पाई। ऐसे में उसे सुपुर्द नहीं किया गया। माता-पिता निराश होकर वापस लौट गए।
बच्ची के ईच्छा जताने पर फिर हुई तलाशा
सोनी ने बताया कि अप्रैल 2021 में बालिका ने अपने माता पिता से मिलने की इच्छा जताई। उसने कहा कि वे ही उसके माता-पिता थे। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने इसमें सक्रियता दिखाई और गुजरात मे रह रहे माता पिता से फिर संपर्क किया। उन्हें अजमेर बुलाया।
सोनी ने बताया कि सात साल पहली अपहृत हुई बेटी और उसे पाकर मां बाप की आंखों से खुशी के आंसू थम नहीं रहे थे। अब वह अपने भाई बइनों व मां बाप के साथ रहेगी।