लखनऊ। मुस्लिम धर्म का त्यौहार ईद-उल-अजहा का इंतजार लोगों को बेसब्री से है। इस त्यौहार की तैयारियां जोरों पर हैं। पहले बकरीद की तारिख 23 बताई जा रही थी। लेकिन अब यह तय हो गया है कि बकरीद का त्योहार 22 अगस्त को ही मनाया जाएगा। इससे पहले इमरात-ए-शरीया-हिंद और रूयत-ए-हिलाल कमेटी समेत कई कमेटियों ने 22 अगस्त को ईद-उल-अजहा मनाने का ऐलान किया था, लेकिन मरकजी-ए-हिलाल कमेटी ने इससे इत्तेफाकी नहीं जताते हुए 23 अगस्त को बकरीद मनाने की घोषणा की थी।बकरीद के पर्व पर जिलाधिकारी लखनऊ कौशल राज शर्मा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ कलानिधि नैथानी नेशहर के समस्त अपर पुलिस अधीक्षको,क्षेत्राधिकारियों, प्रभारी निरीक्षकों,थानाध्यक्षो को आगामी त्यौहार ईद-उल-अजहा (बकरीद) को दृृष्टिगत रखते हुये एक बैठक का आयोजन किया। बैठक में शिया और सुन्नी समुदाय के धर्मगुरुओं ने भी हिस्सा लिया। एसएसपी ने इस त्यौहार के अवसर पर पुलिस अधिकारियों को उचित दिशा निर्देश दिए हैं। एसएसपी ने समस्त अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अपने अपने क्षेत्र में स्थित सभी प्रमुख ईदगाह व मस्जिदों का भ्रमण कर प्रमुख मौलानाओं व मुतवल्लियो से मुलाकात कर मोबाइल नम्बरों का आदान-प्रदान करें, जिससे कि त्यौहार के दौरान आपस में सामंजस्य बना रहे तथा त्यौहार सकुशल सम्पन्न कराया जा सके। प्रभारी निरीक्षकों, थानाध्यक्षो को निर्देशित किया गया कि अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित प्रतिबंधित जानवरो के बाड़ो को चिन्हित कर, सम्बन्धित बाड़ा मालिकों को नोटिस दें। समस्त को निर्देशित किया गया कि वह अपने-अपने क्षेत्र में द्वितीय चरण की पीस कमेटी मीटिंग को 20 अगस्त 2018 से पहले सम्पन्न कराने के लिए तिथि निर्धारित करें। समस्त अपर पुलिस अधीक्षको, क्षेत्राधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वह अपने-अपने क्षेत्र से सम्बन्धित मजिस्ट्रेटों के साथ प्रमुख ईदगाह व मस्जिदों का भ्रमण कर सुरक्षा-व्यवस्था की समीक्षा करें। प्रभारी निरीक्षकों,थानाध्यक्षो को निर्देशित किया गया कि अपने-अपने क्षेत्रों में संवेदनशील स्थलों पर आज से ही पिकेट तैनात करना सुनिश्चित करें। यह दिन अपने भक्त द्वारा अपने विश्वास और भक्ति को दर्शाते हुए पैगंबर को किए गए महान त्याग के लिए समर्पित है। ईद-उल-अजहा के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे या किसी अन्य पशु की कुर्बानी देते हैं। इस्लाम में इस दिन को फर्ज-ए-कुर्बान का दिन कहा गया है। ये खास त्यौहार हर देश में लगभग अलग-अलर तारीखों में मनाया जाता है। बकरीद मनाने के पीछे एक कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि इब्राहिम अलैय सलाम नामक एक व्यक्ति थे उनकी कोई संतान नहीं थी। काफी मन्नतों से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम उन्होंने इस्माइल रखा। एक दिन इब्राहिम को सपने में अल्लाह ने उससे सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी देने के लिए कहा। अल्लाह के हुक्म को न मानना उनके लिए मुमकिन नहीं था, इसलिए वे बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। जैसे ही वे बेटे की बलि देने लगे, तभी किसी फरिश्ते ने छुरी के नीचे से इस्माइल को हटाकर एक मेमने को रख दिया। कुर्बानी के बाद जब उन्होंने आंखों से पट्टी हटाई तो देखा इस्माइल सामने खेल रहा है और नीचे मेमने का सिर कटा हुआ है। तब से इस पर्व पर जानवर की कुर्बानी का सिलसिला शुरू हो गया।