महामारी सी बनी डायबिटीज : वयस्कों में कोरोना के बीच तेजी से बढ़ रही डायबिटीज, 40 नहीं अब 35 साल की उम्र में शुगर लेवल टेस्टिंग की सलाह दे रहे एक्सपर्ट
अमेरिकी वयस्कों में कोरोना महामारी के बीच डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लिहाजा ओवरवेट वयस्कों में टाइप 2 डायबिटीज और ब्लड में हाई शुगर लेवल की टेस्टिंग 35 साल की उम्र से ही शुरू कर दी जाएगी। पहले यह टेस्टिंग 40 साल की उम्र में की जाती थी।यूनाइटेड स्टेट्स प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स का कहना है कि ओवरवेट वयस्कों को अब टाइप 2 डायबिटीज और प्री-डायबिटीज की स्क्रीनिंग 35 साल की उम्र में शुरू कर देनी चाहिए। प्राथमिक देखभाल और रोकथाम के एक्सपर्ट पैनल ने कहा है कि कम उम्र में टेस्टिंग से मोटापे से ग्रस्त लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से बचने में मदद मिल सकती है।
40% से ज्यादा यंग जनरेशन को टेस्टिंग की सलाह दे रहा अमेरिका
अमेरिका में लोगों में तेजी से बढ़ रहे मोटापे और डायबिटीज के मरीजों को देखते हुए यह सिफारिश की गई है। इसके मुताबिक देश की 40% से ज्यादा यंग जनरेशन की टेस्टिंग की जानी चाहिए। हालांकि इसमें गर्भवती महिलाओं को शामिल नहीं किया गया है। टास्क फोर्स ने जनरल जामा में पब्लिश एक नई रिसर्च को देखने के बाद यह बात कही है।
सात में से एक वयस्क है डायबिटीज से पीड़ित
इस स्टडी में पता चला है कि अमेरिका में सात में से एक वयस्क डायबिटीज से ग्रस्त है। कोरोना महामारी के बीच तेजी से बढ़ रहे डायबिटीज पीड़ितों की संख्या आगे चलकर बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है, क्योंकि डायबिटीज, कोरोना के गंभीर संक्रमण, अस्पताल में भर्ती होने या फिर मौत के रिस्क को बढ़ा देती है।
ज्यादा है इन लोगों में डायबिटीज का खतरा
टास्क फोर्स ने कहा कि हेल्थ केयर प्रोवाइडर को 35 साल से पहले भी उन लोगों की टेस्टिंग करनी चाहिए जिनमें डायबिटीज का हाई रिस्क है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिनमें डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास हो या जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा रहा हो। इनमें ब्लैक, हिस्पैनिक, मूल अमेरिकी, अलास्का के मूल निवासी या एशियाई अमेरिकी भी शामिल हैं। इन सभी लोगों में व्हाइट अमेरिकन के मुकाबले डायबिटीज का खतरा काफी ज्यादा है।
महामारी की तरह है डायबिटीज और प्री-डायबिटीज भी
टास्क फोर्स के उपाध्यक्ष डॉ. माइकल डे बैरी बोस्टन के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में इन्फॉर्म्ड मेडिकल डिसीजन प्रोग्राम का निर्देशन भी करते हैं। उनका कहना है कि कोविड महामारी वास्तव में महत्वपूर्ण है, लेकिन डायबिटीज और प्री-डायबिटीज भी महामारी की तरह ही है, जो तेजी से बढ़ते मोटापे और एक्सरसाइज की कमी की वजह से बढ़ रही है।
अमेरिकी के वयस्कों में एक तिहाई हाई ब्लड शुगर लेवल की है समस्या
डॉ. बैरी ने कहा कि लगभग एक तिहाई अमेरिकी वयस्कों में हाई ब्लड शुगर लेवल की समस्या है, जिसे प्री-डायबिटीज कहा जाता है। यह टाइप-2 डायबिटीज से पहले होती है और इसकी वजह से डायबिटीज होना लगभग तय माना जाता है, क्योंकि इसमें किसी भी तरह के कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसलिए स्क्रीनिंग सबसे ज्यादा जरूरी है।
डायबिटीज की सबसे बड़ी वजह है मोटापा
अधिक वजन या मोटापा डायबिटीज के सबसे महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर हैं। इसकी वजह से टाइप 2 डायबिटीज और प्री-डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ता है। लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव जैसे कि फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाना, हेल्दी डाइट लेना और थोड़ा वजन कम करना प्री-डायबिटीज और फुल डायबिटीज के खतरे को कम कर सकता है।टास्क फोर्स का कहना है कि 35 साल की उम्र में डायबिटीज की पहली स्क्रीनिंग और 70 साल की उम्र तक हर तीन साल पर स्क्रीनिंग करवानी चाहिए। स्क्रीनिंग में एक ब्लड टेस्ट होता है जिससे पता चलता है कि ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हुआ है या नहीं।
रहन सहन में कुछ बदलाव डायबिटीज से बचा सकते हैं
ओवरवेट या मोटापे से ग्रस्त लोग थोड़ा सा वजन कम करके या फिर एक हफ्ते में 150 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी कर के टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को शुरुआत में ही रोक सकते हैं। हालांकि, मेटफोर्मिन भी इसका एक विकल्प हो सकता है, लेकिन लाइफ स्टाइल में बदलाव इससे कहीं ज्यादा फायदेमंद है।