बाँदा। बुंदेलखंड के चार जिलों बांदा, हमीरपुर, महोबा और चित्रकूट में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) द्वारा बेतवा नदी में खनन पर लगाई गई रोक ने चित्रकूटधाम मंडल की यमुना और केन नदियों में खनन करा रही कई बड़ी कंपनियों और अन्य पट्टाधारकों की नींद उड़ा दी
इन्हें खतरा सता रहा कि बेतवा की तर्ज पर एनजीटी का चाबुक यहां पर भी न चल जाए। एनजीटी के आदेश की प्रति तलाश कर पट्टाधारक कानूनविदों और पर्यावरण विशेषज्ञों की पनाह में पहुंच कर उनसे राय मशविरा कर रहे हैं।एनजीटी शर्तों के मुताबिक, जुुलाई माह से तीन माह के लिए खनन बंद है। यह अगले माह शुरू हो जाएगा। यमुना और केन में लगभग एक सैकड़ा खदानें हैं। हर साल लगभग एक अरब रुपये राजस्व के रूप में आता है। इससे कई गुना ज्यादा पट्टाधारक कमाते हैं।पूरे बुंदेलखंड में बालू, मौरंग, गिट्टी, पत्थर इत्यादि खनिज की खदानें हैं। सबसे ज्यादा खनन बालू का हो रहा है। नियम कानूनों को दरकिनार कर पट्टाधारक नदियों की जलधारा में मशीनों से गहराई तक खनन कर पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।एनजीटी, सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट कई बार सख्त आदेश और दिशा-निर्देश जारी कर चुका है, लेकिन इसमें कोई कमी नहीं आई। कुछ दिन पहले नदियों में हो रहे खनन को लेकर एनजीटी में रिट/याचिका दायर की गई थी।