छत्तीसगढ़ के रायपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 23 साल की युवती गर्भवती होने के बाद 7 माह तक लगातार नियमित जांच के लिए पहुंचती रही। लेकिन वहां तैनात डाक्टरों को पता ही नहीं चला कि उसके गर्भ में 3 बच्चे थे। यहां तक कि सीएचसी ने युवती की एक बार भी सोनोग्राफी नहीं करवाई। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि शुक्रवार को दोपहर उसकी घर में डिलीवरी शुरू हो गई और एक बच्चा वहीं जन्मा।
आनन-फानन में उसे सीएचसी से दोपहर ढाई बजे पंडरी जिला अस्पताल रेफर किया गया। यहां कोरोना जांच वगैरह में देरी के कारण शाम साढ़े 4 बजे उसकी डिलीवरी करवाई गई तो बाद में जन्मे दोनों नवजातों की कुछ देर में मृत्यु हो गई। युवती अभी पंडरी जिला अस्पताल में भर्ती है और इस घटना को लेकर परिजन में आक्रोश है। उन्होंने बताया कि उरला सीएचसी में युवती की नियमित जांच की जाती रही लेकिन डाक्टरों ने कभी भी नहीं बताया कि महिला के गर्भ में तीन बच्चे हैं।
शुक्रवार को युवती को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई और जब तक घरवाले समझ पाते एक बच्चे का वहीं जन्म हो गया। उसे बिगड़ी हालत में उरला से पंडरी जिला अस्पताल रेफर किया गया। वह पहुंची तो कोरोना जांच के लिए भटकना पड़ा क्योंकि कोरोना जांच करनेवाला अमला नहीं था। जांच होने के बाद शाम साढे 4 बजे के बाद इमरजेंसी में उसको एडमिट कर प्रसव करवाया गया जिसमें 2 नवजात बच्चे एक लड़का एक लड़की की जन्म के कुछ ही देर बाद मौत हो गयी। पंडरी जिला अस्पताल में फिलहाल अबेडकर अस्पताल का गायनी विभाग चल रहा है।