फतेहपुर। न्यूज वाणी जैन धर्म के राष्ट्रीय क्रांतिकारी संत के नाम से विख्यात मुनि 108 श्री तरुण सागर जी महाराज के असामयिक निधन के बाद समूचा जैन समाज शोक में डूब गया मुनि श्री का अंतिम संस्कार दिल्ली मेरठ हाईवे स्थित समाधि मरण तरुण सागर तीर्थ में संथारा पूर्वक किया जाएगा। बताते चले कि जैन धर्म के परम पूज्य मुनि श्री 108 तरुण सागर जी महाराज अपने कड़वे प्रवचन के चलते क्रांतिकारी राष्ट्रसंत के नाम से विख्यात हुए थे वह दिल्ली स्थित राधे पुरी मंदिर में विराजमान होकर चातुर्मास रहते चातुर्मास के दौरान विगत 20 दिनों पूर्व उनकी अचानक हालत बिगड़ने के बाद उन्हें उपचार के लिए दिल्ली स्थित चिकित्सालय ले जाया गया लेकिन मुनि श्री ने चिकित्सालय में समाधि लेने से इनकार करते हुए 2 दिन पूर्व वापस राधे पुरी मंदिर पहुंचे जहां शनिवार की दोपहर लगभग 3रू58 पर उन्होंने अंतिम सांस ली उनकी समाधि होने के बाद जैसे ही जैन समुदाय के लोगों को पता चली वह सही समूचा जैन समुदाय शोक में डूब गया गौरतलब हो कि मुनि श्री ने महज 14 वर्ष की अल्प आयु में ही घर का त्याग कर दिया था जिसके बाद वह दीक्षा की ओर अग्रसर हो गए थे सन 1982 में मुनि श्री ने छलक दीक्षा सन 1984 में अलग दीक्षा तत्पश्चात मुनि दीक्षा लेकर अपने कड़वे प्रवचन ों के जरिए एक अलग पहचान बनाई थी जिसके चलते उन्हें क्रांतिकारी राष्ट्रसंत का दर्जा प्राप्त हुआ था उनके ग्रहस्थ जीवन का नाम पवन कुमार जनता 26 जून 1967 को जन्मे मुनि श्री ने 8 मार्च 1981 को घर त्याग कर समाज हित के कार्य में अपना जीवन व्यतीत करने का संकल्प ले लिया था मुनि श्री ने आचार्य पुष्पदंत महाराज से मुनि दीक्षा लेकर फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा अपने कड़वे प्रवचन के माध्यम से उन्होंने ना सिर्फ जैन धर्म बल्कि अन्य धर्मों के लोगों के बीच भी जागृति पैदा करने का काम किया था मुनिश्री तरुण सागर जी महाराज केवल जैन धर्म के ही फ्री नहीं थे अपितु वह अपने कड़वे प्रवचन व बेबाक-अंदाज के चलते हर धर्म के अजीज बन चुके थे। मुनिश्री तरुण सागर जी महाराज की समाधि की जानकारी मिलने के बाद इस फनी जैन समाज के लोगों के बीच शोक व्याप्त हो गया जैन समाज के लोगों ने स्टेशन रोड स्थित 1008 भगवान नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में एकत्र होकर प्रभु से उनकी आत्मा शांति की कामना करते हुए अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की जैन समाज के लोगों ने मुनिश्री की समाधि होने के बाद उनके देवलोक गमन होने पर समाज को अपूर्णीय क्षति होना बताया जैन धर्मावलंबियों ने कहा कि मुनि श्री जैसा संत ना कोई हुआ है और ना ही शायद आने वाले समय में कोई होगा मुनि श्री अपने कड़वे प्रवचन से सबके अजीज थे हर धर्म हर जाति हर संप्रदाय के लोग उनके वचनों को सुनकर उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लेते थे। जैन धर्मावलंबियों का कहना था कि समाज मुनि श्री के देवलोक गमन पर रिक्त हुए उनके स्थान को कैसे भरेगा श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में प्रमुख रुप से नरेंद्र चंद जैन आनंद जैन देवेंद्र जैन दीपक जैन संदीप जैन अजय जैन पप्पू जैन सुनील जैन कुलदीप जैन राजीव जैन मोहित जैन शोभित जैन हर्ष जैन श्रेष्ठ जैन ओम जैन सरला जैन प्रीति जैन आशा जैन सीमा जैन पप्पन जैन अलका जैन रीना जैन पूजा जैन गुड्डन जैन स्वाति जैन माही जैन गुनगुन जैन यशी जैन मुस्कान जैन मौजूद रहे।