35 साल पहले मरी महिला आज भी है जिंदा,आधार ,PAN होने के साथ लगी है वैक्सीन भी , फिर भी कहते है लोग कि तुम मर चुकी हो
बिहार के बेतिया में एक ऐसा मामला सामने आया है जहाँ एक ऐसी महिला है जिसको करीब 35 साल पहले मृत घोषित किया जा चुका है। जब महिला को मृत घोषित किया गया था, उस वक्त उसकी उम्र सिर्फ 19 साल की थी। हालांकि, महिला शादीशुदा है और उसके पति व बच्चे भी हैं, लेकिन महिला के मृत घोषित होने की वजह से वह अपने पति-बच्चों के साथ न रहकर अपने मायके में रह रही है। साथ ही खुद को जीवित साबित करने की जद्दोजहद भी कर रही है।
यह पूरा मामला धोखाधड़ी का है। धोखे से जीवित महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर उसे संपत्ति से बेदखल करने की कोशिश का है। महिला के खिलाफ इस साजिश को अंजाम देने वाले और कोई नहीं, बल्कि उसके अपने बेटे-बेटी हैं। पति जीवित हैं, लेकिन वो बेटे-बेटी के सामने कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं। यह सब आरोप खुद उस महिला ने ही लगाए हैं।
जानिए क्या है पूरा माजरा
52 साल की इस महिला का नाम बुचुन देवी है। चनपटिया के गिद्धा गांव में उसका ससुराल है। पति का नाम शिवपूजन महतो है। बुचुन के अनुसार, पति ने बेटे की गलत संगत से तंग आकर उसके नाम 18 कठ्ठा 19 धुर जमीन कर दी थी। इसी जमीन के लालच में बेटे सुखदेव प्रसाद ने गलत तरीके से चनपटिया प्रखंड कार्यालय से उसका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया। वह भी करीब 35 साल पहले एक जनवरी 1987 की तारीख में। इसके बाद उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया। यह घटना करीब चार साल पहले की है।
बुचुन देवी घर से निकाले जाने के बाद दर-दर की ठोकर खाने लगी। पति भी उसका सहारा न बन सके। इसके बाद उसे अपने मायके घोघा गांव में ही शरण मिली। बीते 4 वर्षों से वह अपने मायके में ही रह रही है। खुद के लिए न्याय मांगने जब चनपटिया प्रखंड कार्यालय जाती है, तो उसे भगा दिया जाता है। कहा जाता है कि तुम मर गई हो। बुचुन देवी के अनुसार, उसने CO-BDO सहित कई अधिकारियों से मिलने की कोशिश की, लेकिन कहीं उसकी सुनवाई नहीं हो रही है।
है जिंदा साबित करने के सभी सबूत मौजूद,लगी है वैक्सीन भी
बुचुन देवी के पास खुद को जीवित साबित करने के सभी प्रमाण हैं। आधार कार्ड, बैंक पासबुक, पैन कार्ड सहित कई सरकारी दस्तावेज उसके जिंदा होने का प्रमाण दे रहे हैं। उसके परिवार वालों का सवाल है कि जब साल 1987 में ही उसकी मृत्यु हो गई, तब यह सब दस्तावेज कहां से आए? हद तो यह है कि बुचुन देवी को कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए 17 जून 2021 को वैक्सीन भी लग चुकी है। इन सारे दस्तावेजों को लेकर वह खुद के जिंदा होने का प्रमाण दे रही है। फिर भी सरकारी सिस्टम उसे जीवित मानने को तैयार नहीं है।
अधिकारियों-कर्मियों की प्रमाण पत्र जारी करने में भूमिका संदिग्ध
गिद्धा निवासी बुचुन देवी के जिंदा होने के बावजूद मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में चनपटिया प्रखंड के तत्कालीन BDO, पंचायत सचिव सहित अन्य सरकारी बाबूओं की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। बिना किसी तरह का वेरिफिकेशन किए 20 जनवरी 1987 की तारीख में एक जनवरी 1987 को उसकी मृत्यु होने का प्रमाण पत्र चनपटिया प्रखंड कार्यालय की ओर से जारी कर दिया गया था।नियमों को देखा जाए तो चनपटिया प्रखंड के पंचायत सचिव को स्पॉट पर जाकर मामले की जांच करनी होती है। उसके बाद प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। पंचायत सचिव के बाद राजस्व कर्मचारी, उसके बाद सांख्यिकी पदाधिकारी के प्रमाणित करने के बाद ही BDO मृत्यु प्रमाण पत्र को जारी करते हैं, लेकिन इस मामले में किसी ने प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
बुचुन को माना पूर्व मुखिया ने भी जिंदा, दिया प्रमाण पत्र
गिद्धा पंचायत की पूर्व मुखिया कौशल्या देवी ने शिवपूजन महतो की 52 वर्षीय पत्नी बुचुन देवी उर्फ शिवकली देवी को जिंदा माना है। उन्होंने बुचुन के जिंदा होने का प्रमाण पत्र 9 मार्च 2019 को दिया है। कहा है कि बुचुन देवी गिद्धा की रहने वाली है। उनकी मौत नहीं हुई है। वह जिंदा हैं। दो नामों से जानी जाती है।
इसके बाद सवाल यह है कि जब मुखिया भी बुचुन को जिंदा मान रही हैं, तो सरकारी सिस्टम क्यों नहीं कोई कार्रवाई कर रहा है? या सिस्टम के लोग बुचुन को मृत घोषित कराने वाले साजिशकर्ताओं से मिले हुए हैं। ना तो अब तक प्रमाण पत्र को रद्द कर पाये हैं, ना ही जिंदा को मुर्दा साबित करने वालों के विरुद्ध किसी तरह की कार्रवाई ही कर पा रहे हैं।
जांच कराएंगे बेतिया DM
मामले की जानकारी मिलने पर पश्चिमी चंपारण के DM कुंदन कुमार ने कहा, ‘अगर चनपटिया प्रखंड में जिंदा महिला का मृत्य प्रमाण पत्र बनाया गया है, तो यह काफी गंभीर मामला है। मामले की जांच कराई जाएगी। प्रमाण पत्र जारी करने में जिसकी भी भूमिका होगी, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।वहीं चनपटिया के वर्तमान BDO मनुरंजन कुमार पांडेय ने बताया कि पंचायत चुनाव को लेकर अभी मैं योगापट्टी प्रखंड में हूं। मामला मेरे पूर्व का है। ऐसे में इसमें मैं कुछ नहीं बोल सकता हूं। मामला सामने आने पर ही कुछ कहूंगा।