मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने शनिवार को कहा कि न्यायिक व्यवस्था में बुनियादी ढांचे की कमी को न्याय प्रशासन पर गहरा निशान छोड़ने से पहले ही जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए और वित्तीय बाधाओं को बहाना के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) द्वारा आयोजित ‘प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे : शीघ्र न्याय की कुंजी’ और ‘भारत में कानूनी शिक्षा का बदलता चेहरा’ विषय पर अपने व्याख्यान में न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि न्यायपालिका को मजबूत करना गुणात्मक और त्वरित न्याय में मददगार होगा।
उन्होंने कहा, ‘आधारभूत ढांचे की कमी को बढ़ने नहीं दिया जाना चाहिए और न्याय प्रशासन पर गहरा निशान छोड़ने से पहले यथाशीघ्र इसका समाधान किया जाना चाहिए। वित्तीय बाधाएं कोई बहाना नहीं हैं। आवश्यकता न्यायपालिका को मजबूत करने की है, जिसके परिणामस्वरूप न्याय प्रदान करने की व्यवस्था तेज, गुणात्मक रूप से उत्तरदायी हो और न्याय के उद्देश्य की पूर्ति करे।’
तारीख पर तारीख लेने की आदत से बचें वकील : रामनाथ कोविंद
शनिवार का पूर्वार्द्ध मुख्य न्यायाधीश के लिए काफी व्यस्तताओं से भरा रहा। उन्होंने सुबह में सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म (एसआईएलएफ) और मेनन इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल एडवोसीसी ट्रेनिंग द्वारा ‘राष्ट्र निर्माण में कानूनी शिक्षा की भूमिका’ पर विषय पर संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन 10वें विधि शिक्षक दिवस पुरस्कार समारोह के हिस्से के रूप में किया गया।
उन्होंने कहा कि आम आदमी के वास्ते भौगोलिक पहुंच को बढ़ाने के लिए अदालतों के नेटवर्क का विस्तार करने की जरूरत है ताकि वादकारों और वकीलों के लिए जरूरी सुविधाएं प्रदान की जा सके।