दीपावली का त्यौहार कस्बे की बाजारों में उमड़ी भीड़*_ राजेश यादव

 

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पौराणिक काल से निरंतर चला आता एक साथ भैया दूज धनतेरस दीपावली कार्तिक पूर्णिमा जैसे त्योहार कस्बे की बाजार से लेकर हर एक व्यक्ति का घर जगमगा उठते है जहां तरह-तरह की रंगोली झालर झूमर वह फूल मालाओं से दुल्हन की तरह मकानों व दुकानों को सजाया जाता है तो वही व्यापारी भाई अपनी आस लगाकर व्यापार पर विशेष ध्यान देते हुए सजावटी करते हैं जहां खागा कस्बे में सजी बाजारों में इस बार बहुत कम ही भीड़ दिखाई पड़ रही थी विशेषकर दुकानदार भाइयों ने यह भी बताया कि पूर्व की भांति लॉक डाउन की वजह से अभी स्थिति सामान्य नहीं हुई है जिसकी वजह से व्यवसाय बहुत मंदा है/जहाँ खागा कस्बे में मिठाई की दुकानें सजी हुई थी जिनमें कहीं थोड़ी ही भीड़ दिखाई पड़ रही थी वही लाई गट्टा वह दिवाली पटाखे जैसी दुकानों पर भी बहुत कम ही भीड़ उमड़ी हुई थी कहीं फिर भी कुछ ठीक सामान्य स्थिति को देखते हुए त्योहारी मद्देनजर बाजारो में चहल-पहल तो रही ही है जहां व्यापारियों के हौसले खुशहाली की ओर नजर आ रहे थे वही क्षेत्र से आई हुई जनता अपनी खरीदारी पर हौसले उमंग कर रखे थे/

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