केरल में विनाशकारी बाढ़ के बाद अब रैट फीवर बीमारी पैर पसार रही है। बाढ़ प्रभावित 13 जिलों में से 5 जिलों में इस बीमारी से कई लोग पीड़ित हैं। रैट फीवर से राज्य में पिछले दो दिनों में 11 लोगों की मौत हो चुकी है। एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अब तक 36 लोगों की मौत रैट फीवर के कारण हुई है। राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावित जिलों में रैट फीवर को लेकर अलर्ट जारी किया है।
केरल के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार केरल ने जनवरी से 1 सितंबर, 2018 तक रैट फीवर के 788 मामले पाए गए हैं जिनमें 36 लोगों की मौत हो चुकी है। 2017 में इसी अवधि के दौरान रैट फीवर के 1,408 मामले सामने आए थे जिनमें 80 लोगों की मौत हुई थी। स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार 2 सितंबर तक लगभग 200 लोगों में रैट फीवर की पुष्टि हुई है। बता दें कि केरल में बाढ़ और बारिश के चलते 15 अगस्त से अब तक लगभग 500 लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग बेघर हो चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि केरल में आई बाढ़ से राज्य को करीब 30 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
लोगों से उपचार कराने को कहा
सरकार ने महामारी को फैलने से बचाने के लिए उन सभी लोगों को स्वास्थ्य केंद्रो और अस्पतालों में जाकर उपचार लेने को कहा है जो बाढ़ के पानी के संपर्क में रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की डॉ. सरिथा आर ने कहा कि सभी अस्पतालों में पेनिसिलिन उपल्बध है। उन्होंने कहा कि रैट फीवर से प्रभावित मरीजों के इलाज के तरीके पर निजी अस्पतालों को दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं।
क्या है और कैसे फैलता है रैट फीवर
रैट फीवर एक बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी है जो दूषित मिट्टी या पानी में मौजूद बैक्टीरिया से फैलती है। रैट फीवर का बैक्टीरिया दूषित पानी में किसी पीड़ित या किसी जानवर के जरिये पहुंचता है। आपदाओं के चलते पानी और मिट्टी के उस बैक्टीरिया से दूषित होने की बहुत आशंका है जिससे लैप्टोसपोरोसिस यानि रैट फीवर के फैलने की संभावना होती है। जंगली और घरेलू दोनों ही तरह के जानवरों का इन बैक्टीरिया को फैलाने में बहुत योगदान होता है। अगर किसी इंसान की त्वचा डूबने या तैरने के दौरान इस बैक्टीरिया के संपर्क में होती है तो यह बीमारी हो जाती है। अगर त्वचा कटी या छिली है तो इसके जल्दी संपर्क में आने की संभावना होती है। इसके बैक्टीरिया उस भीगी मिट्टी, घास या पौधों में जिंदा रहते हैं जिनपर इस बैक्टीरिया से ग्रसित जानवर ने पेशाब किया होता है। कभी-कभी इसका संक्रमण बैक्टीरिया से दूषित खाना खाने, कोई दूषित चीज चुभ जाने या फिर किसी बैक्टीरिया से दूषित पेय पदार्थ पीने से भी हो सकता है।
लक्षण-
– जी मिचलाना
– मांसपेशियों में दर्द
– उल्टी होना
– दस्त होना
– आंखें लाल होना
इन अंगों पर पड़ते हैं बुरे प्रभाव-
– किडनी पर
– दिमाग पर (मेनिनजाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है)
– लीवर पर (लीवर फेल हो सकता है)
– सांस लेने में परेशानी हो सकती है। सांस की नली से जुड़े कई रोग हो सकते हैं।
उपचार-
– किसी भी दर्द, पीड़ा या बुखार से छुटकारा पाने के लिए चिकित्सक की सलाह से दवा लें
– जानवरों या पशु उत्पादों को संभालने के बाद साबुन और पानी से अपने हाथ धोएं
– यदि आप कीचड़ या गंदे पानी में हैं तो जितनी जल्दी हो सके स्नान करें