निकला दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली,556 AQI से  खतरनाक श्रेणी में पहुंची दिल्ली की हवा 

 

 दिल्ली का  हाल कितना बुरा है यह आप इससे समझ सकते हैं कि दुनिया के 10 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में दिल्ली सबसे आगे है। इस सूची में भारत के मुंबई और कोलकाता भी शामिल हैं। स्विट्जरलैंड आधारित क्लाइमेट ग्रुप IQAir ने यह नई सूची जारी की है। यह ग्रुप हवा की गुणवत्ता और प्रदूषण पर नजर रखता है। यह ग्रुप संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रोग्राम में टेक्नोलॉजी पार्टनर है।

पाकिस्तान का लाहौर और चीन का चेंदगू शहर भी इस सूची में शामिल है। दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर में पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली आौर दिल्ली में गाड़ियों का प्रदूषण की बड़ी हिस्सेदारी है। पराली को लेकर राज्यों की सरकारों के बीच खींचतान जारी है लेकिन कोई हल नहीं निकल रहा है।

दी प्रदूषण बोर्ड ने  चेतावनी
दिल्ली में आज हवा का गुणवत्ता स्तर (AQI) 476 है, जाे कि गंभीर श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने शुक्रवार को चेतावनी दी थी कि अगले 48 घंटों के लिए हवा की क्वालिटी गंभीर बनी हुई है। राज्यों और स्थानीय निकायों को आपातकालीन उपायों को लागू करना चाहिए जिसमें स्कूलों को बंद करना, निजी कारों पर ‘ऑड-ईवन’ प्रतिबंध लगाना और सभी तरह के कंस्ट्रक्शन को रोकना शामिल है।

यूपी  के पांच शहरों का AQI 400 से ज्यादा
बुलंदशहर, हापुड़, नोएडा, मेरठ और गाजियाबाद में हवा की गुणवत्ता का स्तर गिरता जा रहा है। आज इन पांच शहरों में AQI 400 से ज्यादा है। बुलंदशहर में AQI का स्तर 444 है। पीएम10 का स्तर 568 और पीएम 2.5 का स्तर 417 है। लखनऊ में हवा की गुणवत्ता खराब है। यहां AQI 187 है, पीएम10 का स्तर 187 और पीएम 2.5 का स्तर 125 है।

राजस्थान में हवा में प्रदूषण का स्तर दिल्ली-एनसीआर जैसा खतरनाक नहीं है। यहां पर AQI 200 से कम ही है। जयपुर, उदयपुर, अजमेर, पुष्कर समेत राज्य के 15 जिलों में हवा की गुणवत्ता खराब है। दो जिलों की गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।

  PM2.5 स्तर के चलते फेफड़ों को होगा  नुकसान
CPCB के मुताबिक दिल्ली की हवा में फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले PM2.5 का स्तर आधी रात के करीब 300 का आंकड़ा पार कर गया। यह शाम 4 बजे 381 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। हवा के सुरक्षित होने के लिए PM2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए। फिलहाल यह सुरक्षित सीमा से करीब 6 गुना अधिक है। PM2.5 इतना छोटा होता है कि यह फेफड़ों के कैंसर और सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

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