उत्तराखंड त्रासदी में 2013 में उत्तराखंड की सरकार ने जिस लापता बेटे को मृत घोषित कर दिया था। छह माह बाद उसका मृत्यु प्रमाण पत्र तक जारी हो गया था। परिजनों सहित पहचान वाले लोग उसे खो देने का गम आज तक भुला नहीं सके। ऐसे में सोशल मीडिया पर वायरल एक व्यक्ति की फोटो ने 8 साल बाद एक बार फिर मां बहनों व रिश्तेदारों की ममता को जगा दिया है। यह मामला अंबाला शहर में सामने आया है। जंडली निवासी गुलबदन सिंह उर्फ गुल्लू जैसे ही एक शख्स की फोटो फेसबुक पर वायरल हुई। लिखा कि यह शख्स जिंदा है।
हालांकि वीडियो देखने से पहले ही डिलीट हो गई थी। जैसे ही फोटो पर परिजनों की नजर पड़ी तो उनके होश उड़ गए। फोटो का स्क्रीन शॉट लेने पर फोटो जिसने भी देखी तो उनकी आंखों से आंसू झलक पड़े। 8 साल पहले मृत घोषित बेटे के जिंदा होने का दावा करते हुए परिजनों ने फोटो गुलबदन सिंह की होने की बात कहीं। जैसे ही सोशल मीडिया पर दोबारा अकाउंट को जांचा तो फोटो डिलीट की जा चुकी थी।
आज तक बेटे का शव न देख पाने के कारण परिजनों को कहीं न कहीं उसके लौटने की उम्मीद थी। ऐसे में गुलबदन सिंह की बहन मनजीत ने एक बार फिर एसपी अंबाला को पत्र लिखा है। जिसमें जिक्र है कि सोशल मीडिया पर संबंधित अकाउंट को खंगाला जाए ताकि फोटो वाले व्यक्ति की तलाश करके परिवार से मिलाया जाए। अगर यह फोटो गलत या फिर किसी व्यक्ति द्वारा जानबूझ पर पाई गई है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
अंबाला कैंट थाने में पहुंची मामले की जांच
परिजनों की गुहार पर एसपी अंबाला जश्नदीप सिंह रंधावा ने तुरंत संज्ञान लिया है। सोशल मीडिया पर वायरल व्यक्ति व गुलबदन सिंह की पुरानी फोटो को लेकर जांच अंबाला कैंट थाने में मार्क कर दी है। अब साइबर सेल की मदद से फेसबुक पर पोस्ट डालने वाले व्यक्ति की तलाश की जाएगी ताकि पूछताछ में पता लगाया जा सके कि आखिर जो पोस्ट डाली गई थी, वह व्यक्ति कहां है। अंबाला कैंट थाना प्रभारी नरेश बिट्टू ने एसपी द्वारा जांच मिलने के बात कहीं है। उनका कहना है कि यह जांच का विषय है। पूरी जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
गया था सवारी लेकर केदारनाथ गुलबदन
एसपी अंबाला को दी अर्जी में कच्चा बाजार निवासी मंजीत ने बताया कि वह मूलरूप से अंबाला शहर जंडली की रहने वाली है। अब कच्चा बाजार में रहने लगी है। उसका भाई गुलबदन सिंह उर्फ गुल्लू ड्राइवरी करता था। 2013 में सवारी लेकर केदारनाथ गया था। उसी दौराना आई प्राकृतिक आपदा के कारण वह लापता हो गया था। काफी ढूंढने का प्रयास किया लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया था। तब उत्तराखंड सरकार ने लापता लोगों को मृत घोषित कर दिया था जिसमें भाई गुलबदन सिंह का भी नाम था। उत्तराखंड व हरियाणा सरकार ने परिवार को मुआवजा भी दिया था। साथ ही मृत्यु प्रमाण पत्र तक जारी कर दिया था। शव नहीं मिला था। 8 साल बाद फेसबुक पर किसी प्रदीप कुमार कोरी की आईडी से मेरे भाई गुलबदन की फोटो व वीडियो अपलोड की गई थी कि वह जिंदा है। फोटो जीजा विकास जैसवाल ने अपनी आईडी से देखी थी। स्क्रीन शॉट मारने के कुछ देर बाद आईडी से फोटो ही डिलीट कर दी गई थी।