नई दिल्ली। रेल हादसा होने पर रेलवे को मृतक के परिजनों को मुआवजा देना होगा, भले ही मृतक के पास से टिकट बरामद हो या नहीं। रेल हादसे में मौत के मामले में परिजनों द्वारा मुआवजे की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट है कि मौत रेल हादसे में हुई।न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी ने कहा कि संभव है कि हादसे के बाद मृतक के शव से टिकट न बरामद हुआ हो या खो गया हो। पीठ ने रेलवे की उन सारी दलीलों को ठुकरा दिया। जिसमें उसने बॉडी से टिकट नहीं मिलने पर मुआवजा के लिए अयोग्य ठहराया। रेलवे ने यह भी कहा कि अगर मृतक की जेब से मोबाइल बरामद हो सकता है तो फिर टिकट कैसे खो सकता है। पीठ ने उक्त आदेश दो रेल हादसे पर सुनवाई करते हुए दी। एक हादसा काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस से 19 अक्टूबर 2015 को हुआ। नई दिल्ली से हापुड़ जा रहे राहुल जाटव गाजियाबाद स्थित महरौली के पास रेलगाड़ी में अचानक झटका लगने से नीचे गिर गए और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वहीं दूसरी घटना गुजरात संपर्क क्रांति से हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से अहमदाबाद जा रहे सुभान के साथ हुई। 17 नवंबर 2015 की रात मध्य प्रदेश के रतलाम के पास अचानक झटका लगने पर ट्रेन से नीचे गिरने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी।सभी पहलुओं पर विचार करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि मृतक के पास से टिकट बरामद हो या न हो, रेलवे इस आधार पर मुआवजा देने से इन्कार नहीं कर सकता। पीठ ने आदेश दिया कि रेलवे दोनों मृतक के परिजनों को नौ फीसद ब्याज के साथ आठ-आठ लाख रुपये मुआवजा अदा करे।