मुस्लिम मंसूरी समाज के दो मूक-बधिर जोड़ों का अंगूठा दिखाकर हुआ दूल्हे-दुल्हन का निकाह

जयपुर में पहली बार ऐसी शादी हुई, जिसमें सांकेतिक भाषा समझकर काजी ने निकाह पढ़वाया। मेहर की रस्म भी इशारों से समझाकर पूरी करवाई गई। दूल्हा और दुल्हन के 25 दोस्त और साथ पढ़ने वाले स्टूडेंट्स भी शादी में मौजूद रहे। जिन्होंने इशारों की भाषा समझने-समझाने में काजी की मदद की। जब निकाह पढ़ा गया तो दूल्हे और दुल्हनों ने 3 बार अंगूठे से कबूल है का इशारा किया। इस रस्म अदायगी के बाद विशेष जोड़े ने एक दूसरे का हाथ थामा। मंसूरी समाज के पंच पटेल और राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल लतीफ आरको ने दूल्हा-दुल्हन काे आशीर्वाद और गिफ्ट भी दिए।

दोनों दुल्हनें भी बहनें,दोनों दूल्हे भाई
खास बात यह है कि दोनों दूल्हे 24 साल का आसिफ और 22 साल का आरिफ सगे भाई हैं और जयपुर के आनंदीलाल पोद्दार मूक बधिर कॉलेज और स्कूल में फर्स्ट ईयर और 12वीं क्लास में पढ़ते हैं। इसी तरह दोनों दुल्हनें 22 साल की अनम मंसूरी और 21 साल की आफरीन मंसूरी भी आपस में बहनें हैं। लड़कियां 10वीं तक पढ़ी हैं। लड़कियों के पिता जमील अहमद रामगढ़ मोड़ पर जगदीश कॉलोनी में रहते हैं, जहां निकाह की रस्में हुई हैं। वहीं बारात जयपुर के ही गिरधारीपुरा से आई।

पहली बार सांकेतिक भाषा में शादी
इन जोड़ों का निकाह मंसूरी पंचायत संस्था के नायब क़ाज़ी सैयद असगर अली ने सांकेतिक भाषा में करवाया। दोनों दूल्हा और दुल्हन डीफ एंड डम्ब हैं। केवल इशारों की भाषा समझते हैं। लेकिन दिमागी तौर पर बिल्कुल ठीक हैं। लड़का-लड़की के परिजनों ने यही सोचकर शादी करवाई है कि उनके भी ह्यूमन राइट्स हैं। शादी करके अपना घर-परिवार बसाने का उन्हें पूरा अधिकार है। चारों पढ़े लिखे हैं और अपना भला-बुरा समझने में दक्ष हैं। इस शादी को देखकर अब इसकी मिसाल दी जा रही है। अब उनके पास एक और मूक-बधिर शादी करवाने की डिमांड आ गई है।

नायब काजी सैयद असगर अली ने बताया कि सामूहिक विवाह सम्मेलन में 17 जोड़ों की शादी करवाई गई। जिसमें सामूहिक भोज हुआ है। दो विटनेस और एक वकील की मौजूदगी में शादी करवाई गई है। समाज में मेहर की रस्म दुल्हन एग्री करती है। निकाह के दौरान 11-11 हजार का मेहर दिया गया है। दोनों पक्षों ने राजी-खुशी निकाह कबूल किया है। मंसूरी पंचायत के करीब 90 काजी जयपुर शहर में हैं। 20 मार्च 2022 को कर्बला में पंचायत की ओर से 200वां सामूहिक विवाह सम्मेलन होने जा रहा है। इसका मकसद अनावश्यक खर्च पर कंट्रोल कर वही पैसा बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में लगाने का संदेश देना है।

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