कमासिन-बाँदा। एक तरफ देश मे गाय को माता का दर्जा दिया जा रहा है लेकिन गौ माता की पशु आश्रय केंद्रों में जो दुर्दशा हो रही है वह किसी से छिपी नही है साथ ही इनके भरण पोषण के नाम पर भी जमकर धांधली की जा रही है मीडिया में आये दिन केंद्रों में बंद गौवंशो की हो रही दुर्दशा का खुलासा हो रहा है किंतु ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हो रही है ग्राम पंचायत खमरखा में भरण पोषण के नाम पर जो खेल किया जा रहा है एक बानगी के तौर पर सामने है बताया गया है कि ग्राम पंचायत खमरखा में सात अगस्त से पशु आश्रय केंद्र का संचालन शुरू किया गया जिसमे125गौवंश संरक्षित किये गये थे किंतु इससे जुड़े गांव अछरील में अन्ना जानवरो को नही बंद किया गया जिससे वहां के किसान मान सिंह प्रेमचंद्र तिवारी पप्पू तिवारी व गौलाल यादव आदि ने शासन प्रशासन को समस्या से अवगत करवाते हुये अन्ना जानवरो को बंद करवाये जाने की मांग की थी काफी हो हल्ला के बाद सात अक्टूबर से करीब90 गौवंशो को खमरखा आश्रय केंद्र में बंद किया गया था लेकिन ग्राम पंचायत द्वारा जो डिमांड सूची एक अगस्त से शासन को भेजी जा रही है उसमें 220 गौवंशो को बंद होना दर्शाया जा रहा है जबकि90 गौवंश सात अक्टूबर को बंद किये गए थे इस तरह दो माह पहले 90 गौवंशो को दर्शा कर भरण पोषण के नाम पर खुले आम धांधली की जा रही है।