एक्सपर्ट के अनुसार – संक्रमित बच्चों में तेज बुखार और कंपकंपी जैसे दिख रहे लक्षण,जरूरी नहीं स्वाद-गंध का जाना
नई दिल्ली। कोविड-19 से संक्रमित बच्चों में तेज बुखार और कंपकंपी जैसे लक्षण देखें जा रहे हैं। रविवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने ये भी बताया कि डेल्टा वैरिएंट के विपरीत ओमिक्रॉन मरीजों में स्वाद और गंध का खोना आम नहीं है।
अस्पताल में कुछ बच्चों को भर्ती करने की जरूरत
कोविड-19 संक्रमित बच्चों का इलाज कर रहे डॉ. गुप्ता ने कहा, ’11 से 17 साल के बीच के बच्चे और किशोर जो कोरोनावायरस से संक्रमित हैं उनमें तेज बुखार और कंपकंपी के लक्षण दिख रहे हैं। दो साल से कम उम्र के बच्चों में भी ये लक्षण दिख रहे हैं। उनमें से कुछ को अस्पताल में भर्ती भी करना पड़ रहा है।
डॉ. गुप्ता ने कहा ‘मैंने कोविड-19 से संक्रमित लगभग नौ शिशुओं का इलाज किया है, जिनमें से एक को वेंटिलेशन सपोर्ट की जरूरत पड़ी है। दूसरे मरीजों की तरह हाई फीवर के कारण शिशुओं को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है।
संक्रमण की गंभीरता वयस्कों में डेल्टा की तुलना में कम
उन्होंने बताया कि वयस्कों में संक्रमण की गंभीरता कोरोनावायरस के डेल्टा वैरिएंट की तुलना में कम है, जबकि शिशुओं के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है। डॉ. गुप्ता ने कहा, ‘मेरे अनुभव के अनुसार, दो साल से कम उम्र के बच्चे जो हाई रिस्क ग्रुप के होते हैं उनमें संक्रमण की गंभीरता लगभग डेल्टा वैरिएंट के समान है।’
कर रहा है अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित वायरस
Covid -19 के ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर उन्होंने कहा, ‘इस बार, हमने पाया है कि वायरस मुख्य रूप से रोगी के अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित करता है। इसलिए संक्रमण में सर्दी सिरदर्द, नाक बहने जैसे लक्षण दिखते हैं। कंपकंपी के साथ बुखार भी आता है।
10 में से 2-3 मरीजों में गंध-स्वाद जाने की शिकायत
दूसरी लहर के दौरान कोरोनावायरस संक्रमण के लक्षणों की तुलना करते हुए डॉ गुप्ता ने कहा कि दूसरी लहर के विपरीत ओमिक्रॉन मरीजों में स्वाद और गंध की खोना बहुत आम नहीं है। 10 में से केवल 2-3 मरीज गंध और स्वाद जाने की शिकायत कर रहे हैं।
वैक्सीनेटेड लोगों में लक्षण कम गंभीर
हेल्थ एक्सपर्ट ने यह भी कहा कि ‘वैक्सीनेटेड और स्वस्थ लोगों में ओमिक्रॉन के लक्षण उन लोगों की तुलना में कम गंभीर हैं, जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है।’ उन्होंने कहा, ‘अब तक मैं तीन मरीजों से मिला हूं, जिन्हें निमोनिया हुआ है। उन्हें इलाज के लिए स्टेरॉयड दिया गया।