एक प्रत्याशी ऐसा भी जो बनाना चाहता है 100 बार हारने का रिकॉर्ड, खरीदा 94वें चुनाव के लिए  पर्चा

 

यूपी के  विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो गई। इस बीच दल बदल का दौर भी जारी है। प्रत्याशी जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं लेकिन आगरा जिले में ऐसा भी एक प्रत्याशी है जो हारने के लिए चुनाव लड़ता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस प्रत्याशी की हसरत भी हारने का शतक बनाने की है। नाम है हसनूराम अंबेडकरी।

खेरागढ़ के नगला दूल्हे निवासी 75 साल के हसनूराम अंबेडकरी 94वीं बार निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए शुक्रवार को कलक्ट्रेट में पर्चा लेने पहुंचे। नामांकन के पहले दिन 37 पर्चे बिके। एक किन्नर, दो महिला और 34 पुरुषों ने पर्चे लिए। इनमें हसनूराम अंबेडकरी की कहानी अपने आप में अनूठी है। विभिन्न पदों पर 93 बार चुनाव हारने के बाद भी हसनूराम का हौसला बरकरार है। इसी हौसले के साथ वह एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

हसनूराम अंबेडकरी ने बताया कि वह सन 1985 से अलग-अलग 93 चुनाव लड़ चुके हैं। 100 बार हारने का रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि मैंने कभी किसी चुनाव में एक रुपया खर्च नहीं किया। उन्होंने एक बार राष्ट्रपति पद के लिए भी नामांकन किया था लेकिन पर्चा निरस्त हो गया था।

हस्नूराम ने बताया कि वह तहसील में 1984 में सरकारी अमीन थे। तभी चुनाव लड़ने की इच्छा हुई तो एक पार्टी से टिकट मांगा। टिकट देने की बजाय उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया कहां तुम्हें तो तुम्हारे घर में कोई वोट नहीं देगा। तभी से हसनूराम को चुनाव लड़ने की धुन सवार हो गई। तब से वह विभिन्न पदों पर 93 बार चुनाव लड़ चुनाव चुके हैं।

आगरा जिले की नौ सीटों के लिए पहली बार एक ही स्थल कलेक्ट्रेट में पर्चे भरे जा रहे हैं। शुक्रवार सुबह आठ बजे ही कलेक्ट्रेट परिसर में छावनी में तब्दील हो गया। गेट पर भारी पुलिस बल तैनात रहा। प्रत्येक व्यक्ति को जांच के बाद परिसर में प्रवेश मिला। पहले दिन नौ सीटों पर कुल 37 पर्चे बिके हैं। जिनमें 18 निर्दलीय एवं 19 राजनीतिक दलों के लोगों ने लिए हैं।

आगरा छावनी क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में किन्नर राधिका बाई ने पर्चा लिया है। दक्षिण सीट से मो. अंसारी ने निर्दलीय के रूप में पर्चा लिया है। हसनूराम अंबेडकरी ने खेरागढ़ से चुनाव लड़ने के लिए पर्चा खरीदा है। हालांकि पहले दिन किसी प्रत्याशी द्वारा पर्चा नहीं भरने के कारण नामांकन का खाता भी नहीं खुला है।

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