महिला ने अस्पताल में जन्मा 5 किलो वजन का बच्चा, बच्चा और मां दोनों स्वस्थ 

 

 राजस्थान के झुंझुनूं में जन्मे एक नवजात को देखकर सब हैरान हैं। जो जन्म के साथ ही 5 किलो का है। ऐसा बहुत ही रेयर मामलों में होता है। झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल में एक महिला ने 5 किलो वजनी बच्चे को जन्म दिया। फिलहाल, बच्चा और मां दोनों स्वस्थ हैं। बताया जा रहा है कि आमतौर पर नवजात बच्चों का वजन 2.5 से 3.5 किलोग्राम के बीच होता है। झुंझुनूं के वार्ड 18 निवासी रूखसाना बानों ने बच्चे को जन्म दिया। रुकसाना बानो के यह चौथा प्रसव था। इससे पहले भी तीन लड़के ही हैं। इससे में खास बात ये है कि बीडीके अस्पताल के डॉक्टरों ने सामान्य डिलिवरी करवाई है।

बीडीके अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेन्द्र भाम्भू ने बताया कि आमतौर पर नवजात बच्चों का वजन 2.5 से 3.5 किलोग्राम के बीच होता है। लेकिन यह भी है बहुत कम होता है कि बच्चे का वजन 2.5 किलो तक हो। 30 प्रतिशत बच्चों का वजन 2.5 किलो से भी कम होता है। इतना तय है कि 90 प्रतिशत बच्चों का वजन साढ़े तीन किलोग्राम से कम ही होता है।

बीडीके अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. वीडी बाजिया ने बताया कि बीडीके अस्पताल की शिशु गहन इकाई में इतने वजन का पहला बच्चा है। 10 हजार बच्चों में से एक ही मामला ऐसा सामने आता है। यह किसी सिंड्रोम की वजह से भी हो सकता है।

बीडीके अस्पताल की महिला चिकित्सालय इकाई की प्रभारी डा. पुष्पा रावत ने बताया कि अभी जच्चा सामान्य है। मां के कोई भी रोग नहीं है। बच्चा अधिक वजन का होता है तो ज्यादातर मामलों में मां को शुगर होती है। रुखसार को न ही शुगर है, ना ही थायराइड है।

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेन्द्र भाम्भू ने बताया कि ऐसे बच्चों की उनके परिजनों को केयर ज्यादा करनी चाहिए। मां को बार-बार दूध पिलाना पड़ता है। आमतौर पर मां को शुगर संबंधित परेशानी होने के कारण शिशुओं का वजन ज्यादा होने की आशंका होती है। रुखसार का किसी भी बीमारी से पीड़ित नहीं है। लगभग तीन से चार महीने के शिशु का वजन 5.30 किलो के आसपास होता है।

थी सामान्य डिलेवरी करवाना भी  चुनौती
एमसीएच प्रभारी एवं वरिष्ठ प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पा रावत ने बताया कि बच्चे का वजन बहुत ज्यादा था। जांच से पता चल रहा था। सामान्य प्रसव करवाना भी आसान नहीं था। टीम के सदस्य डॉ सुजाता महलावत, डॉ मधु तंवर, डॉ सुमन भालोठिया आदि पार्टोग्राफ से निरंतर मॉनिटरिंग की। यह भी तय किया हुआ था कि कभी भी सिजेरियन ऑपरेशन करना पड़ सकता है। चिकित्सकों एवं स्टाफ की टीम ने आंकलन किया कि जब तक सामान्य प्रसव संभव हैतो सामान्य ही करवाया।

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