अपने आप को नेता जी कहने वाले यह नेता बहुत ही खतरनाक है — अवधेश कुमार दुबे

आम जनता के बीच में अपने आप को नेता जी कहने वाले यह नेता बहुत ही खतरनाक है क्योंकि इनके पास कोई नैतिकता नाम की चीज नहीं है अगर नैतिकता नाम की चीज इनके पास नहीं है तो जनता को पूरी तरह से नकार रहे हैं और जनता है कि इनके पीछे अपनी अपनी डफली लिए अपना अपना राग छोड़ती जिंदाबाद के नारे लगाती टहल रही है आपसी भाईचारा खत्म होता जा रहा है गांव गांव में लोगों का वैमनस्य बढ़ रहा है जबकि नेता मौकापरस्त है आज इस पार्टी में कल उस पार्टी में जाकर केवल अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं और अपनी मजबूती बनाते चले जा रहे हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहेगी कभी यह मंत्री बनेंगे कभी इनका बेटा कभी इनकी बेटी और कौन आएगा जनता से क्या किसी नेता ने आज तक किसी जनता के व्यक्ति को सपोर्ट किया है कि आप चुनाव लदिए मैं आपका सपोर्ट करता हूं ऐसा कभी नहीं हुआ क्योंकि इनके पास नैतिकता नाम की चीज नहीं है स्वयं से सोच कर देखिए जो व्यक्ति नैतिकता से दूर है वह किसी का भला क्या कर सकता है किसी को संरक्षण कैसे दे सकता है क्योंकि नैतिकता तो लाल बहादुर शास्त्री में दिखी थी जिन्होंने अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हुए अपना इस्तीफा लिख दिया था लेकिन इनका अगर इस समय पार्टियों से मोहभंग हो रहा है तो क्यों भंग हो रहा है इनको लग रहा है कि अब इस सरकार में हमारी जरूरत खत्म हो गई है अब हमारी और जरूरत और कहीं से पूरी हो सकती है तो इन्होंने इसी मौसम में अपना इस्तीफा क्यों दिया अन्य कभी यह दे सकते थे जब इनके पास जिम्मेदारियां थी और उसका निर्वहन नहीं कर पा रहे थे सरकार इनकी बात नहीं मान रही थी तो इनका नैतिक कर्तव्य था कि अपनी सरकार के विरुद्ध त्यागपत्र दे सकते थे लेकिन ठीक चुनाव के पहले इन लोगों ने इस्तीफा दिया और जिस सरकार में थे उसकी बुराई करना शुरू कर दिया थाली में खा रहे थे उसी में छेद करना शुरू कर दिया यह कल जनता के साथ भी यही करेंगे जो जनता इनको वोट देगी उसी जनता की ऐसी की तैसी कर देंगे क्योंकि इनके पास नैतिकता के नाम पर कुछ बचा नहीं है वैसे भी नेता वही बनता है जिसके पास नैतिकता नाम की चीज नहीं होती है जो उल जलूल बोलता है जो उल जलूल के कार्यकर्ता है उसमें नैतिकता कहां से होगी उसमें मर्यादा कहां से होगी और आप इन से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस सरकार को तोड़कर अगली सरकार पर जाएंगे और आपका कोई भला कर देंगे यह आपकी भूल है यह नेता जानते हैं की जनता लतखोर है बेवकूफ है हमारी कारस्तानी उनको पता नहीं है सोचिए इसका मतलब आप के अंदर नैतिकता भरी बातें सोचने की क्षमता खत्म हो गई है जब आप ही नैतिक नहीं तो आप के नैतिक नेता क्या होंगे उनकी नैतिक जिम्मेदारी क्या होगी तो जानते ही नहीं होंगे बस आपको सीधे उल्लू बनाते रहेंगे और आप बनते रहेंगे यदि इन लोगों ने यदि इन लोगों ने चुनाव से पहले नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए त्यागपत्र दे देता या इस्तीफा दे देता फिर अपनी ही सरकार के विरुद्ध इस प्रकार की बातें करता तो जनता इनको सिर आंखों पर बैठा लेती लेकिन जनता इनकी हकीकत से कहीं ना कहीं इत्तेफाक रखती है ऐसा नहीं किए सभी दल बदलने वाले नेता फिर से मंत्री बन जाएंगे या चुनाव जीत जाएंगे यह की बहुत बड़ी भूल है जनता सब जानने लगी है जनता सोती नहीं अब जागने लगी है मैं किसी पार्टी विशेष की बात नहीं करता मैं नेताओं की नैतिक जिम्मेदारी की बात करता हूं जो नेता कहते हैं कि किसानों के साथ न्याय नहीं हुआ बेरोजगारों के साथ न्याय नहीं हुआ दलितों के साथ में नहीं हुआ पिछड़ों के साथ न्याय नहीं हुआ है वह नेता 5 साल सरकार में रहकर अपना कार्यकाल पूरा कर गए आखिर उन्हें एक साल में 2 साल में 28 साल में 3 साल में या चौथे साल में जब लगा था कि इस सरकार में कोई दम नहीं है तूने उस सरकार को तुरंत छोड़ना चाहिए था ना कि चुनावी दौर पर छोड़ना चाहिए था यह सीधा चुनावी स्टंट है इनके पास नैतिकता नाम की चीज नहीं है और जिस व्यक्ति के पास नैतिकता नहीं होती वह कुछ भी कर सकता है और किसी का भला नहीं
न्यूज़ वाणी तहसील संवाददाता अवधेश कुमार दुबे

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