लहरपुर सीतापुर।प्रदूषण रोकने के लिए भले ही सरकारें गंभीर हों लेकिन स्थानीय स्तर पर इसकी परवाह विभाग को नहीं है। बीते दिनों में ही लहरपुर तहसील क्षेत्र में लाखों रुपये की लागत से ईंट भट्ठों का निर्माण हो गया। न तो भट्ठा स्थापित कराने का अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किया गया और न ही संचालन के लिए अनुमति ली गई। ऐसे में न सिर्फ विभाग को राजस्व की क्षति पहुंचाई जा रही है बल्कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए बने सख्त कानूनों की धज्जियां भी उड़ाई जा रही हैं। तहसील में तेजी से बढ़ रहे हैं,भट्ठे जो विभाग की बिना अनुमति के धड़ल्ले से चल रहे हैं। जबकि गांव में बिना प्रशासनिक व विभागीय अनुमति के ईंट भट्ठों का निर्माण इसी वर्ष कराया गया है। महत्वपूर्ण सवाल यह कि जब प्रशासन व विभाग से किसी प्रकार का अनुमति प्रमाण पत्र नहीं जारी हुआ तो ईंट भट्ठे का निर्माण कैसे हो गया। निर्माण कराने वाले ने न सिर्फ विभाग को राजस्व की क्षति पहुंचायी है, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए बने कानूनों को भी ठेंगा दिखाया है। जानकारों का कहना है कि ईंट भट्ठे का निर्माण विभागीय मिलीभगत के चलते हुआ है। यह इकलौता मामला नहीं है। जिले में ऐेसे कई ईंट भट्ठे संचालित हैं, जिनके पास विभाग से जारी अनुमति पत्र मौजूद नहीं है। राजस्व को क्षति पहुंचाने के साथ ही प्रदूषण को भी बढ़ावा देने में मददगार साबित हो रहे हैं ये भट्ठे। कई अन्य उद्योग-धंधे भी सफेदपोशों के इशारे पर फलफूल रहे हैं। प्रशासन इस तरफ ध्यान देने की जरूरत नहीं समझ रहा है।