मां-बेटी ने किया कमाल, मुर्गे के पंखों से बना रहीं शॉल, साड़ी और गमछा, अमेरिका में भी डिमांड 

 

झालावाड़ जिले के असनावर कस्बे में रहने वाली मां-बेटी ने यह साबित कर दिखा दिया। मां-बेटी की इस जोड़ी ने वेस्ट से बेस्ट बनाने की ठानी और फिर सफलता भी प्राप्त की। इन्होंने मुर्गे के पंखों से शॉल, साड़ी और गमछे तैयार करने शुरू किए। अब इनके बनाए प्रोडक्ट की डिमांड देश के साथ-साथ विदेशों में भी हो रही है। अमेरिका, कनाडा और नीदरलैंड सहित कई देशों से इन्हें लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं। हाल ही में इन्हें अमेरिका से एक बड़ा ऑर्डर भी मिला है।

 

असनावर कस्बे में रहने वाले एश्वर्या के पिता सुजानमल बुनकर ने मुर्गे के पंखों से कपड़े बनाने का काम शुरू किया था। बेटी बड़ी हुई तो उसने भी इस काम में दिलचस्पी दिखाई। अब एश्वर्या अपनी मां कौशल्या के साथ मिलकर हस्त शिल्प का काम संभाल रही हैं। उनके साथ करीब 300 महिलाएं भी मुर्गे के पंखों से शॉल और अन्य प्रोडक्ट बनाने का काम कर रही हैं।

झालावाड़ में बनाया पंख कलेक्शन हाउस 
एश्वर्या ने बताया कि इस काम के लिए सबसे पहले झालावाड़ और कोटा के बूचड़खानों में कटने वाली मुर्गे और मुर्गियों के पंखों को एकत्रित किया जाता है। इसके लिए झालावाड़ में पंख कलेक्शन हाउस बनाया गया है। यहां 10 से 15 किलों पंख एकत्रित होने के बाद उन्हें असनावर लेकर आते हैं।  यहां सबसे पहले उनकी सफाई की जाती है और उन्हें गर्म पानी में उबाला जाता है, फिर करीब 15 दिन तक पंखों को सुखाया जाता है।

एश्वर्या बताती हैं कि पंखों को सुखाकर नागपुर भेज दिया जाता है। वहां मशीनों से प्रोसेसिंग के बाद यहां वापस लाया जाता है फिर लूम पर धागा तैयार किया जाता है। जिस रंग के पंख होते हैं उसी हिसाब से धागा तैयार होता है। सफेद पंख से बने धागे पर बिना केमिकल वाले रंग से कलर भी किया जाता है। इसके बाद चरखे से अलग-अलग उत्पाद जैसे शॉल, साड़ी और गमछा सहित अन्य सामान तैयार किया जाता है।

1200 से लेकर 20 हजार तक की शॉल 
मुर्गे के पंखों से तैयार हो रहे उत्पाद को लेकर एश्वर्या बताती हैं कि हमारे पास 1200 से लेकर 20 हजार रुपए तक की शॉल है। इसी तरह साड़ी और गमछे भी कम और ज्यादा रेट पर उपल्बध हैं। लोगों की जरूरत के हिसाब से हमने प्रोडक्ट तैयार किए हैं। देश के साथ विदेशों में भी हम अपने प्रोडक्ट की सप्लाई कर रहे हैं। हमें अमेरिका, कनाडा और नीदरलैंड सहित कई देशों से लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं। 

जल्द ही अन्य प्रोडक्ट भी करेंगे तैयार

ऐश्वर्या ने बताया कि जयपुर से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रहीं रुमझुम शर्मा और मुस्कान हमारे द्वारा बनाए जा रहे प्रोडक्टर पर रिसर्च भी कर रहीं हैं। उन्होंने कहा कि देश भर में मुर्गे के पंखों से तैयार हो रहा हमारा प्रोडक्ट शायद पहला ही है। इस तरह के प्रोडक्ट कोई और नहीं बना रहा है। ये दोनों स्टूडेंट यहां रहकर हमारे प्रोडक्ट की पूरी प्रक्रिया को समझ रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हम जल्द ही मुर्गे के पंखों से कई अन्य तरह के प्रोडक्ट की तैयार करने जा रहे हैं।

रद्दी के हैंड और लैपटॉप बैग खूब पसंद आए
ऐश्वर्या ने यह भी बताया कि वे करीब 6 महीने से अखबारों की रद्दी से लैपटॉप और हैंडबैग सहित कई तरह के बैग तैयार कर रही हैं। कैलीफोर्निया से इस तरह के बैग के लिए ऑर्डर आया है। एक साल के लिए डिमांड आ चुकी हैं, अब तक हमने पांच हजार बैग की सप्लाई कर दी है। आगे के ऑर्डर पूरे करने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बैग बनाने के लिए हम झालावाड़, कोटा, भीडवाड़ा और मध्यप्रदेश के कई जिलों से रद्दी मंगाते हैं।

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