सरौली गांव में दो पारिजात के वृक्ष औषधि को दे रहे बढ़ावा – औषधि रूप में होती है पूजा – सुल्तानपुर घोष थाना के बघोली गांव में भी है वट

फतेहपुर। खागा तहसील के सरौली गांव में दो परिजात वृक्ष लोगों की कौतूहल का विषय बनें है। ग्रामीणों के मुताबिक यह औषधि रूपी वट लोगों के कई स्वरूपों में रोगों को नाश करता है। इसी तहसील के मझिलगांव में अमूल्य, दुर्लभ औषधि रुद्रवंती भी पाई जाती है, जो देश में अंयत्र कहीं भी नहीं मिलती।
ग्राम प्रधान अतुल सिंह व ग्रामीण राजेंद्र सिंह की मानें तो यह वट करीब 250 सालों से एक किसान के खेत में खड़े है। इनकी सुरक्षा गांव के साथ ही वन विभाग भी करता है। पिछले वर्ष फरवरी 2021 में विभागीय अधिकारियों ने दोनो पेड़ो का निरीक्षण भी किया था। उन्होंने भी बताया कि दोनों वृक्ष करीब 250 साल से अधिक पुराने हैं। इनमें एक पारिजात के वृक्ष की गोलाई 17 मीटर, जबकि दूसरे की 11 मीटर मापी गई है। दुर्लभ वृक्षों के प्रति ग्रामीणों में अपार आस्था होने की वजह से लोग इनकी पूजा भी करते आ रहे हैं। ग्राम प्रधान बताते हैं कि इन पेड़ों की उत्पत्ति कैसे हुई, किसने इनको रोपा इसके बारे में कोई सटीक तथ्य नहीं है। वन विभाग ने भी दोनों वृक्ष पारिजात के होने की पुष्टि की है। ग्रामीणों का कहना है कि अपने बचपन से देखते आ रहे हैं कि तमाम प्रकार की बीमारियों में लोग इन पेड़ों से छाल, फल व पत्तियां ले जाकर उपचार करते आ रहे हैं। कई वैद्य इन पेड़ों से छाल निकालकर ले जाते हैं। गांव में पेड़ों का अध्ययन करने के लिए कई बार इतिहासकार भी आ चुके हैं। उनका कहना है कि वृक्षों की लगातार छाल निकालने से दोनों वृक्ष कमजोर हो गए। एक वृक्ष तो गिरने की स्थिति में पहुंच चुका है। 5 फरवरी 2021 को वन क्षेत्राधिकारी, खागा सच्चिदानंद यादव ने प्राचीन वृक्षों को संरक्षित करने के लिए ग्रामीणों से बात भी थी। ग्रामीणांचल में मिले पारिजात के दोनों वृक्ष बेहद प्राचीन हैं। इसी प्रकार सुल्तानपुर घोष थाना के बघौली गांव में भी एक पारिजात वृक्ष चिह्नित किया गया है। इनको अब नुकसान न होने पाए, इसके लिए ग्रामीणों को इस वट की विशेषता बताकर जागरूक किया जा रहा है। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय ने बताया कि सरकार और जिला प्रशासन की ओर से 28 जनवरी 2022 तक ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया जिससे इन धरोहरों का संरक्षण किया जा सके। विभागीय प्रयास शून्य है। हम सबको मिलकर अपनी धरोहरों का बचाना होगा।

 

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