क्षय रोग को खत्म करने में मददगार बनेंगे टीबी चैम्पियन – कानपुर सहित प्रदेश के 15 जिलों में क्षय उन्मूलन के लिए आगे आईं सहयोगी संस्थाएं-चार दिवसीय कार्यशाला में टीबी उन्मूलन पर हुई चर्चा
फतेहपुर। टीबी आन्दोलन को मजबूत बनाने के लिए जनपद के एक निजी होटल में चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एपी मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला में क्षय रोग को वर्ष 2025 तक खत्म करने को लेकर उठाए जाने वाले जरूरी कदमों के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। कार्यशाला का संचालन वर्ल्ड विज़न संस्था की मुक्ता शर्मा ने किया। समुदाय को टीबी के प्रति जागरूक बनाने के लिए जो लोग टीबी को मात देकर स्वस्थ हो चुके हैं उनको टीबी चैंपियन के रूप में प्रशिक्षित किया गया है।
डॉ मिश्रा ने बताया कि ट्यूबरक्लोसिस संक्रमित व्यक्ति के खाँसने छींकने से निकलने वाली बूंदों के संपर्क में आकर जाने-अनजाने अन्य लोग भी संक्रमित होते हैं। इसका उपचार हो सकता है अगर इसकी जांच और इलाज जल्दी शुरू किया जाए। टीबी की दवा का नियमित सेवन बहुत जरूरी है क्योंकि दवा बीच में ही छोड़ देने से टीबी गंभीर रूप ले सकता है और यह एमडीआर और एक्सडीआर टीबी में परिवर्तित हो सकता है, इसलिए इसका पूरा इलाज जरूर करें। उन्होंने बताया कि वैसे तो 40 प्रतिशत आबादी में टीबी के वैक्टीरिया होते हैं लेकिन सही खान पान और पोषण से वह बीमारी के रूप में परिवर्तित नहीं हो पाते। कार्यक्रम का संचालन कर रहीं मुक्ता शर्मा ने बताया कि कार्यशाला के माध्यम से टीबी उन्मूलन में कार्य कर रहे कर्मियों को व्यवस्थित ढंग से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसके साथ ही प्राइवेट संस्थानों को टीबी उन्मूलन में भागीदार बनाने के लिए उनका अभिमुखिकरण किया गया। उन्होंने बताया कि जो लोग टीबी से सही हो चुके है उनको टीबी चैंपियन के रूप में आगे लाकर और अन्य टीबी ग्रसित को इलाज के प्रति प्रोत्साहित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस तरह का प्रयास वर्ड विजन द्वारा राज्य के 15 जनपदों में किया जा रहा है। कार्यशाला में जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना, पीपीएम सुधीर, एसटीएस महेंद्र, जिला सामुदायिक समन्वयक राजीव व फतेहपुर के डीसीसी महादेव आदि विशेषज्ञों ने संबोधित किया।
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इन सहयोगी संस्थाओं का साथ
यूनाइट टू एक्ट परियोजना, ग्लोबल फंड फाउंडेशन फॉर इनोवेटिव न्यू डायग्नोस्टिक्स (फाइंड) इस परियोजन में जनसंपर्क कर रही है और रीच संस्था इस परियोजना को अपने पार्टनर ममता और वर्ल्ड विज़न इंडिया संस्थाओं के माध्यम से 10 राज्यों के 80 जिलों में चला रही है।