यूक्रेन में फंसे दोआबा के चार लाल, परिजनों के छलक रहे आंसू – वीडियो काल के जरिए बच्चों से बात कर बंधा रहे ढाढंस

फतेहपुर। रुस व यूक्रेन के बीच छिड़े भीषण युद्ध ने तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। इस लड़ाई की वजह से यूक्रेन में पढ़ने वाले मेडिकल भारतीय छात्रों के जीवन पर भी संकट के बादल मंडरा रहे है। फतेहपुर जिले के चार छात्र यूक्रेन से एमबीबीएस कर रहे है। जो वहां के दो अलग-अलग शहरों में फंसे हुए है। जिसमें दो सगे भाई भी शामिल है। चारों छात्रों के परिजनों के आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। वीडियो काल के जरिए परिजन बच्चों से बात कर उन्हें ढाढंस बंधाने का भी काम कर रहे हैं।
यूक्रेन में फंसे फतेहपुर के छात्रों ने बताया कि यूक्रेन सरकार ने बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी है। कई दिनों से कोशिश के बाद शुक्रवार की फ्लाइट मिली थी। अचानक युद्ध के हालात हो जाने से फ्लाइट कैंसिल हो गई। यूक्रेन में फंसे हर्ष, अंकित, उदय मिश्र, विभव लोधी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। रूस के हमले की खबर से परिवार के लोग घबराए हुए हैं। अपने लाडलों से वीडियो कॉलिंग के जरिए बात कर रहे हैं। हालातों को देखकर एक दूसरे को सिर्फ सब कुछ अच्छा होने का ढांढस बंधा रहे हैं। शहर के शादीपुर मोहल्ला निवासी डॉ. महेश मिश्रा नर्सिंग होम संचालक हैं। उनके दो बेटे हर्ष मिश्रा (22) और उदय मिश्रा (18) यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। हर्ष मिश्रा का अंतिम साल है। वहीं उदय का पहला साल है जबकि शहर के लोधीगंज के रहने वाले विभव लोधी का भी वहां पांचवा साल है। डॉक्टर महेश और उनकी पत्नी किरन के साथ ही सभी के परिजन लगातार अपने बेटों से वीडियो कॉल के जरिए संपर्क बनाए हुए है। महेश और किरन की आंखों में आंसू छलक पड़े। महेश ने बताया कि वह सदमे में हैं। बेटों को घरों में कैद कर दिया गया है। यूक्रेन सरकार ने बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी है। कई दिनों की कोशिश के बाद शुक्रवार की फ्लाइट मिली थी। अचानक युद्ध के हालात हो जाने से फ्लाइट कैंसिल हो गई। छोटा बेटा अक्तूबर माह में गया था। उधर, सिविल लाइन एएसपी बंगले के सामने रहने वाले व्यापारी हरिश्चंद्र मिश्रा का बेटा अंकित मिश्रा भी ढाई माह पहले यूक्रेन एमबीबीएस की पढ़ाई करने गया है। उनकी रात करीब नौ बजे बेटे से मोबाइल पर वीडियो कॉलिंग में बात हुई। वहीं विभव लोधी के परिजनों ने बताया कि बेटा दिसंबर में आया था।

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