दो सीटों की हार लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए बन सकती जी का जंजाल – हावी गुटबाजी से जनपद के दो दिग्गज विधायकों की खिसक गई जमीन – कम हुए जनाधार ने साध्वी समर्थकों के माथे पर गहराई चिंता की लकीरें

फतेहपुर। विधानसभा चुनाव 2022 में प्रदेश में एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी का डंका भले ही बज गया हो। भाजपा समर्थक इसे मोदी व योगी के सुशासन एवं विकास का मॉडल बताकर उत्साहित नज़र आ रहे हो लेकिन 2017 की विधानसभा मे जिलें की छह विधानसभा क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा का 2022 में सदर व हुसैनगंज विधानसभा की सीट हारकर 4 सींटो पर सिमटना लोकसभा चुनाव के लिये खतरे की अलार्म जैसा है।
2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में प्रचंड बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी। जिसमें जनपद की सभी छह विधानसभा को क्लीन स्वीप करते हुए भगवामय कर दिया था। 2017 में भाजपा की छह विधानसभा सीटों की क्लीन स्वीप ने लोकसभा 2019 की इबारत लिखते हुए न केवल सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को दूसरी बार लोकसभा भेजने का काम किया बल्कि मोदी कैबिनेट में उन्हें दोबारा शामिल होने का मौका भी मिला। विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा ने बिंदकी विधानसभा सीट को छोड़कर बाकी पाँच सींटो से अपने सीटिंग विधायकों को ही चुनावी समर में उतारा था। सदर विधानसभा से विक्रम सिंह, अयाह शाह से विकास गुप्ता, खागा से कृष्णा पासवान, हुसैनगज से धुन्नी सिंहः को टिकट दिया। वही बिंदकी विधानसभा से वर्तमान विधायक करण सिंह पटेल का टिकट काटकर सहयोगी अपना दल से जहानाबाद के निवर्तमान विधायक एवं राज्यमंत्री जय कुमार जैकी को उतारा गया वहीं अपना दल कोटे की रही सीट जहानाबाद सीट से भाजपा ने पूर्व मंत्री राजेन्द्र पटेल को मैदान में उतारा था। भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने के लिए भाजपा स्टार प्रचारक व जिले की सांसद एव केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने जनपद की सभी विधानसभा में न जनसभा के माध्यम से पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया वहीं भाजपा प्रत्याशियों के लिये डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा व केशव प्रसाद मौर्या, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी जनसभा को संबोधित किया। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं भाजपा प्रत्याशियो के प्रचार के लिए सदर विधानसभा में जनसभा में जनसभा को संबोधित किया था। शीर्ष नेतृत्व का व्यापक प्रचार प्रसार व संघ के प्रचारकों की लगातार मेहनत के बाद भी जनपद की सदर विधानसभा से विधायक विक्रम सिंह व हुसैनगज विधानसभा से राज्यमंत्री रणवेंद्र प्रताप धुन्नी भइया को हार का मुँह देखना पड़ा। मोदी-योगी के विकास मॉडल के नाम पर चुनाव लड़ रही भाजपा के दिग्गज विधायकों की हार भाजपाइयों के अलावा जनपद के लोगों के गले नही उतर रही है। जानकारों की माने तो सदर विधायक विक्रम सिंह व हुसैनगज विधायक एवं राज्यमंत्री रणवेंद्र प्रताप धुन्नी सिंह समेत दोनों ही दिग्गज प्रत्याशियो की हार की वजह जिले के भाजपाइयों की आपसी कलह का नतीजा है। चुनाव के समय आम कार्यकर्ताओ को तरजीह मिलने की जगह कुछेक को वरीयता दिए जाने से ज़मीनी स्तर का कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस कर रहा था। वही क्षेत्रीय लोगो के अनुसार ज़मीनी कारोबार में दोनों विधायकों के समर्थकों का लगे होना भी क्षेत्र में निगेटिव वातावरण बनाने के लिये एक मंज़बूत फैक्टर रहा। विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम आने के साथ ही प्रदेश में एक बार फिर से सीएम योगी के नेतृत्व में राजग की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। जनपद में कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ी गुटबाज़ी से जनपद के दो विधानसभा क्षेत्र हारने के बाद कम हुए जनाधार ने 2024 नज़दीक होने के कारण भाजपा स्टार प्रचारक जनपद की सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के समर्थकों के माथे पर भी चिंता की लकीरें गहरा दी है।

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