मध्य प्रदेश की साइबर पुलिस ने फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर जारी सिम कार्ड्स पर सख्ती कर दी है। अलग-अलग मोबाइल कंपनियों को फर्जी पहचान पत्र पर जारी 8,000 सिम कार्ड्स को ब्लॉक करने के निर्देश दिए हैं।
2020 में एक विज्ञापन के जरिये कार खरीदने के लालच में एक व्यक्ति के साथ 1.75 लाख रुपये की ठगी हुई थी। इसे लेकर साइबर सेल की ग्वालियर यूनिट ने जांच शुरू की और पाया कि ठग जो नंबर इस्तेमाल कर रहे थे, वह किसी और के नाम से जारी हुआ था। ग्वालियर साइबर ज़ोन एसपी सुधीर अग्रवाल ने कहा कि ठगों ने किसी और व्यक्ति की पहचान का इस्तेमाल करते हुए टेलीकॉम कंपनियों से सिम कार्ड जारी करवाए थे। बाद में पता चला कि अपराध में शामिल आठ लोगों ने उनकी सिम कार्ड हासिल करने में मदद की। अग्रवाल ने कहा कि देश में पहली बार है, जब इतनी बड़ी संख्या में सिम कार्ड्स को ब्लॉक किया गया है। अन्य कंपनियां भी इन सिम कार्ड्स को ब्लॉक करने के लिए नंबरों को फिर से वेरिफाई कर रही हैं।
विस्तृत जांच में साइबर पुलिस ने पाया कि ठगों ने अलग-अलग 20 हजार नंबरों का इस्तेमाल ठगी के लिए किया। इन सिम कार्ड्स को फर्जी पहचान पत्र से लिया गया था। पुलिस ने एक साल की अवधि में फर्जी सिम कार्ड जारी करने के मामले में कानूनी कार्रवाई की। जांच के बाद साइबर यूनिट ने वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और बीएसएनएल समेत सभी टेलीकॉम कंपनियों को नोटिस थमाए। ताकि इन नंबरों का इस्तेमाल करने वालों की पुष्टि की जा सके। इसके बाद वोडाफोन-आइडिया ने 7,948 सिम कार्ड्स को ब्लॉक कर दिया है।