अभी नहीं बचाया जल तो संकट गहराया कल – मात्र गोष्ठियां व बैठकों के बीच मनाया विश्व जल दिवस – प्रतिदिन टूटी पाइप लाइनों व घरों से बर्बाद होता पानी, गिर रहा जलस्तर

फतेहपुर। विश्व जल दिवस विगत 22 मार्च जनपद में मनाया गया। जगह-जगह गोष्ठियां हुईं, बैठकें हुईं और जल को बचाने के लिए लोगों ने बड़ी बड़ी बातें भी की लेकिन मात्र एक दिन की बातों से जल नहीं बचेगा। जल के बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है इसके बावजूद पानी की बर्बादी नहीं रुक रही है। पाइप लाइनों में लीकेज हो या घरों में हर रोज लाखों लीटर पानी बेवजह नालियों में बह जाता है और लगातार जल स्तर गिर रहा है।
बीते मंगलवार को विश्व जल दिवस मनाया जरूर गया लेकिन जलस्तर जिस तरह से कम होता जा रहा है वह चिंता का विषय है। स्थितियां ऐसी है कि यदि जल्द न संभले तो जिस पानी को पानी की तरह बहा रहे हैं उस पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ेगा। जिले के कई स्थानों पर जल स्तर काफी नीचे चला गया है। इसके साथ ही पानी की बर्बादी भी बढी है। जलस्तर में लगातार आती जा रही गिरावट चिंता का विषय बनी हुई है। जिले के कई ब्लॉकों में जलस्तर काफी घटा है और लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। यही कारण है कि जो हैंडपंप लगाए जाते हैं वे जल्द ही रिबोर मांगने लगते हैं क्योंकि पानी नीचे चला जाता है। बरसात के जल के संरक्षण से जल स्तर बढ़ने की संभावना रहती है लेकिन इस दिशा में काम न होने के कारण जलस्तर काफी कम होता जा रहा है। हालांकि पिछले दो वर्षों से जागरूकता में बढ़ोतरी और कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन के कारण जलस्तर में जो कमी आई थी और जिले के कुछ स्थानों पर जल स्तर पिछले वर्षों की तुलना में बढ़ा भी है। यह तसल्ली की बात हो सकती है लेकिन अभी जलस्तर चिंताजनक स्थिति में है। पानी प्राणियों के जीवन के लिए आवश्यक है। इसके बाद भी पानी की बर्बादी लगातार बढ़ती जा रही है। इसका कारण पानी के स्तर में लगातार गिरावट आती चली जा रही है। अब पहले की तुलना में सबमर्सिबल पम्प ज्यादा गहराई पर लगाए जाते हैं। हैडपंप ज्यादा गहराई पर लगाए जाने के बाद भी पानी देना बंद कर देते और फिर उन्हें रिबोर कराना पड़ता है। कुआं खोदे जाने का काम बंद हो चुका है अब वह ऐतिहासिक धरोहर बन चुके हैं। जल स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कोई ठोस कदम भी नहीं उठाए गए। पहले पानी को लेकर ज्यादा चिंता नहीं थी लेकिन जलस्तर गिरते जाने के कारण यह चिंता बढ़ी है कि जिस तरह ऑक्सीजन की कमी हो रही है उसी तरह पानी की कमी लगातार होती जा रही है।
इनसेट-
जमीन पर नहीं उतरी जल संरक्षण की योजना
फतेहपुर। बरसात के जल का संरक्षण करने और उसे रिचार्ज करने के लिए एक योजना बनाई थी जिसे रूफटॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का नाम दिया गया था। इस योजना के तहत बड़ी इमारतों की छतों पर बरसात के जल को एकत्र किया जाना था और फिर नीचे एक गड्ढा बनाकर उस पानी का वह रिचार्ज किया जाना था। यह योजना वर्ष 2006 में बनाई गई थी लेकिन अभी तक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। जिले में तमाम बड़ी-बड़ी सरकारी इमारतें भी हैं जिनमें बरसात के काफी पानी को रिचार्ज किया जा सकता है लेकिन अभी ऐसी व्यवस्था बेहद कम स्थानों पर है। बहुत से लोगों को इस योजना की जानकारी भी नहीं है।
इनसेट-
विलुप्त हो गए कुएं व तालाब
फतेहपुर। प्राकृतिक जल स्रोतों का विलुप्त होना भी पानी की कमी और जल स्तर के नीचे जाने का एक बड़ा कारण है। पहले कुआं और तालाब जल का बड़ा स्रोत हुआ करते थे। पूरे गांव का पानी तालाब में एकत्र हुआ करता था और उसका उपयोग किया जाता था लेकिन वक्त बदला तालाबों पर कब्जे हो गए अब उन स्थानों पर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी दिखाई देती हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.