20 जनवरी 2016, एक महिला ने अपने प्रेमी को घर बुलाया। रात में मिलकर अपने पति की हत्या कर दी। बेटा जाग गया। महिला ने प्रेमी से कहा, इसे मार दो। प्रेमी ने कहा, ये काम मुझसे नहीं होगा। महिला ने कहा, मैं करके दिखाती हूं। उसने बच्चे का गला तब तक दबाए रखा जब तक कि उसकी मौत नहीं हो गई। मर्डर मिस्ट्री सीरीज में आज की कहानी गोरखपुर से है। एकदम हाईप्रोफाइल। जिसका नाता उस वक्त के CM की सुरक्षा में तैनात व्यक्ति से रहा। आइए सीधे कहानी शुरू करते हैं।
डॉक्टर बनना सपना था भाइयों ने पूरा सपोर्ट देकर बना दिया
गोरखपुर की अशोकनगर कॉलोनी में UP पुलिस के इंस्पेक्टर राजकुमार यादव रहते थे। उनके साथ उनके छोटे भाई ओम प्रकाश यादव और मां बागेश्वरी देवी साथ रहती थी। ओम प्रकाश जब छोटे थे तभी उनके पिता की मौत हो गई। ऐसे में ओम प्रकाश की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े इसलिए उनके दोनों बड़े भाइयों ने उन्हें पूरी मदद की और पढ़ाया। परिवार का पूरा समर्थन मिला तो ओम प्रकाश ने पूरी मेहनत से पढ़ाई की और आंख के बढ़िया डॉक्टर बन गए।
परिवार ने सिंगापुर में रहने वाली लड़की से शादी करवा दी, लेकिन 6 महीने में ही तलाक हो गया
2007-08 की बात है। ओम प्रकाश आंख का इलाज करने लगे थे। परिवार ने तय किया कि अब शादी कर दी जाए। बात शुरू हुई तो सिंगापुर के एक परिवार से रिश्ता आया। ये परिवार पहले गोरखपुर में रहता था बाद में सिंगापुर में बस गया। दोनों की शादी हो गई। सिंगापुर में पली बढ़ी लड़की को यहां सब कुछ अजीब लगता। उसे घुटन महसूस होने लगी। 6 महीने ही बीते की वह सिंगापुर लौट गई। फिर से पहले की तरह बैंक में नौकरी करने लगी।
यहां से कहानी में एंट्री होती है अर्चना यादव की…CM की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मी की बेटी से हुई दूसरी शादी
पहली शादी में छह महीने बाद ही तलाक हो जाने के बाद परिवार ओम प्रकाश के लिए दूसरा रिश्ता खोजने लगा। अब चूंकि ओम प्रकाश डॉक्टर थे इसलिए उनके लिए ऐसे तलाकशुदा नहीं, बल्कि नई लड़कियों के रिश्ते आ रहे थे। इसी दौरान दीपचंद यादव की बेटी अर्चना यादव का रिश्ता भी आया। दीपचंद गाजीपुर के ही थे, लेकिन PAC में होने के बाद वह पूरे परिवार के साथ लखनऊ में बस गए। 2012 में सपा सरकार बनने के बाद वे अखिलेश यादव की सुरक्षा में तैनात रहे।
अर्चना ने घर के दो टुकड़े करवा दिए
2009 में अर्चना और ओम प्रकाश की शादी हो गई। शुरू के दिनों में सब कुछ ठीक रहा, लेकिन कुछ दिन बाद अर्चना को परिवार के काम करने में दिक्कत होने लगी। उसने ओम प्रकाश से कहा, “परिवार के साथ नहीं रहना है, हमें अब अलग रहना है।” ओम प्रकाश को यह बात सही नहीं लगी, उन्होंने कहा, “जिन्होंने मुझे पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर बनाया क्या अब मैं उनका ही साथ छोड़ दूं?” परिवार के लोगों तक बात गई तो तय ये हुआ कि रहेंगे उसी घर में, लेकिन खाना अलग बनाएंगे।
फेसबुक ID बनाई और प्राइवेट टीचर से प्यार कर बैठी
अर्चना-ओम प्रकाश को 2012 में एक बेटा हुआ जिसका नाम नितिन रखा। परिवार से अलग होने के बाद अर्चना के पास बहुत काम नहीं रहता था। उसने समय पास करने के लिए फेसबुक पर ID बना ली। इसी दौरान फेसबुक पर फिरोजाबाद जिले के स्वामीनगर के अजय यादव की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई और अर्चना ने स्वीकार कर लिया। दोनों में बातें होने लगी।
प्रेमी से मिलने ससुराल से लखनऊ चली आई अर्चना
अजय और अर्चना के बीच नजदीकियां लगातार बढ़ती जा रही थीं। अजय ने मिलने का प्लान बनाया और जगह रखी लखनऊ। अर्चना का तो लखनऊ में मायका ही था इसलिए वह पति से मायके जाने की बात कहकर चली आई। यहां दोनों की मुलाकात हुई और यहां दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हुए। इसके बाद कभी अर्चना मिलने के लिए लखनऊ आती तो कभी अजय गोरखपुर आ जाता। अर्चना ने उसे दूर का रिश्तेदार बताकर घर पर 4 बार बुलाया। चारों बार वह घर पर ही रहा।
पति की हत्या करवाने के लिए प्रेमी को अपने घर बुलाया
अर्चना अब पूरे दिन फोन पर बात करने लगी थी। ओम प्रकाश ने कई बार टोका पर अर्चना पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। दिसंबर 2015 में विवाद कुछ इस कदर बढ़ गया कि अर्चना ने कह दिया अब मैं तुम्हारे साथ एक कमरे में नही सोऊंगी और अर्चना अब अलग कमरे में और ओम प्रकाश अलग कमरे में सोने लगे। ओम प्रकाश से विवाद और अजय से प्यार के बीच अर्चना ने तय किया कि अब ओम प्रकाश को रास्ते से हटाना ही पड़ेगा और उसने इसके लिए अजय को ट्रेन के जरिए गोरखपुर बुला लिया।
20 जनवरी 2016, अशोकनगर कॉलोनी में एक मैरिज एनिवर्सरी का प्रोग्राम था। ओम प्रकाश के पूरे परिवार को बुलाया गया था, लेकिन अर्चना नहीं गई। ओम प्रकाश अपने 4 साल के बच्चे नितिन के साथ प्रोग्राम में गए। इधर अर्चना ने अजय यादव को घर में बुलाकर अपने कमरे में छिपा दिया। रात 10 बजे ओम प्रकाश लौटे और दूसरे कमरे में बेटे के साथ सोने लगे। रात 12 बजे अर्चना और अजय कमरे में आए और पेट के बल लेटे ओम प्रकाश के सिर के निचले हिस्से में अजय ने हथौड़े से पूरी ताकत के साथ वार किया। तुरंत दूसरा और तीसरा वार भी कर दिया। ओम प्रकाश की मौके पर ही मौत हो गई।
कातिल ने बच्चे की हत्या करने से मना किया तो अर्चना ने अपने बेटे का गला घोंट दिया
हथौड़े के वार से बेड पर लेटा बेटा नितिन उठ गया। खून देखा तो रोने लगा। अर्चना ने उसे उठाकर अपने सीने से लगाते हुए अजय से कहा, “इसने सब कुछ देख लिया है, ये सबको बता देगा, इसलिए इसे भी मार दो।” अजय ने बच्चे की हत्या करने से मना कर दिया। कहा, बच्चे का क्या कसूर है मैं इसे नहीं मार सकता। अर्चना बोली, “अगर तुम नहीं मार सकते तो मैं ही मार देती हूं।” इतना कहने के बाद उसने अपने ही बेटे का गला इतनी जोर से तब तक दबाए रखा जब तक बेटे कि मौत नहीं हो गई।
मामला इतना हाई प्रोफाइल था कि SSP को CM आवास से फोन आ गया
हत्या के बाद अजय और अर्चना ने घर में लूट का सीन बनाया। सारे सामान बिखेर दिए। आलमारी में रखे पैसे निकाल लिए। कमरे की कुंडी को तोड़ दिया। इसके बाद अर्चना को दूसरे कमरे में भेजकर अजय भाग गया। 21 जनवरी की सुबह घर की तीसरी मंजिल पर काम करने जा रहे मजदूरों की नजर दूसरी मंजिल के ओम प्रकाश की रूम पर गई तो हल्ला मच गया। मजदूर भागकर नीचे गए और मां बागेश्वरी और पड़ोसियों को बताया। दूसरे कमरे से अर्चना लगातार चिल्ला रही थी कि क्या हुआ दरवाजा खोलो।लोगों की भीड़ लग गई। शाहपुर थाने के प्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। भाई की हत्या की खबर सुनते ही बलरामपुर जिले के उतरौला थाने में तैनात रामकुमार यादव भागकर घर पहुंचे। दूसरी तरफ अर्चना के पिता दीपचंद यादव भी गोरखपुर पहुंच गए। CM आवास से कातिलों को पकड़ने के लिए फोन आ गया। उस वक्त के DIG आरके चतुर्वेदी और SSP लव कुमार पर केस को सॉल्व करने का दबाव बढ़ गया। पुलिस ने लूट के एंगल से जांच शुरू की तो उसे नजर आया कि दरवाजे की सिटकनी को बाहर के बजाय अंदर से तोड़ा गया है।
पुलिस कातिल जानते हुए भी उससे पूछताछ करने की हिम्मत नहीं दिखा पा रही थी
पुलिस को ओम प्रकाश की मां बागेश्वरी देवी ने बताया कि अर्चना और ओम प्रकाश के बीच हमेशा झगड़ा होता था। दिसंबर 2015 से ही दोनों अलग-अलग कमरों में सोने लगे थे। अब पुलिस का शक अर्चना पर बढ़ गया, लेकिन पुलिस उससे पूछताछ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। उसे डर था कि कहीं अर्चना निर्दोष निकली तो पुलिस विभाग की किरकिरी हो जाएगी। पुलिस ने इससे पहले अर्चना की कॉल डिटेल और फेसबुक मैसेज निकाल लिए।
हत्या के पहले और हत्या के बाद दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए
पुलिस को अजय का सुराग लग गया। उसे फिरोजाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने पूछताछ की तो उसने सब उगल दिया। पुलिस ने तुरंत अर्चना को गिरफ्तार कर लिया। SSP लव कुमार ने 22 जनवरी को पूरा केस खोल दिया। उन्होंने DIG आरके चतुर्वेदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की। बताया कि अजय यादव 20 जनवरी की रात घर आया और उसने अर्चना के साथ शारीरिक संबंध बनाए। रात 12 बजे हत्या करने के बाद उसने फिर से शारीरिक संबंध बनाए और उसके बाद घर से निकल गया।
मैने नितिन को पैदा किया मैंने मार दिया इसमें तुम्हारा क्या
दोनों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। गोरखपुर की जेल में कैदियों ने अर्चना से बेटे की हत्या पर सवाल पूछा तो उसने कहा, ‘मैंने उसे पैदा किया था और मैंने उसे मार डाला इसमें तुम्हारा क्या?’ इतना सुनने के बाद बंदियों ने उसकी पिटाई कर दी। जेल प्रशासन के लोग भागकर गए और अर्चना को बाकी कैदियों से बचाया।
दोनों को उम्रकैद की सजा
17 अक्टूबर 2020 को गोरखपुर की अपर सत्र कोर्ट ने अर्चना यादव और अजय यादव को दोषी साबित करते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। जज ज्ञान प्रकाश शुक्ल ने सजा सुनाते वक्त दोनों पर 65 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। कहा, अगर 65 हजार रुपए नहीं जमा किए जाते हैं तो अर्चना और अजय को साढ़े तीन साल और जेल में रहना होगा।