बत्ती बुझाकर टीवी-लैपटॉप या मोबाइल देखने से दिमाग पर लोड और नजर पर पड़ेगा असर

 

यूं तो फोन, लैपटॉप और टीवी पर कम समय बिताना ही सही रहता है। लेकिन उस कम समय को भी अगर गलत तरीके से बिताया जाए, तो आंखों से लेकर हेल्थ तक पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।

फोन में मौजूद कैलेंडर, कैलकुलेटर, कॉन्टेक्ट्स और पढ़ने, लिखने, देखने से जुड़ी इतनी चीजें मौजूद हैं कि मन में में उठे किसी भी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ता है।

यही वजह है कि डिजिटल गैजेट पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है। लेकिन इस निर्भरता में बरती गई लापरवाही, कैसे हमारी सेहत बिगाड़ सकती है, बता रही हैं डॉ. टिंकल रानी।

जिंदगी की जरूरत बनते जा रहा है इलेक्ट्रॉनिक गैजेट

ऑफिस मीटिंग हो या ऑनलाइन स्टडी। फोन, लैपटॉप हर जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। दो साल बंद रहे मल्टीप्लेक्स के बाद ओटीटी प्लेटफार्म पर फिल्में और वेब सीरीज का बूम आया है। यही वजह है कि अब इन ई-गैजेट्स से दूर रहना सभी उम्र के लोगों के लिए मुश्किल हो चला है। गैजेट के यूज में बुराई नहीं है। परेशानी इसके इस्तेमाल के तरीके से है। अगर आप या आपके बच्चों और घर के अन्य सदस्यों को भी अंधेरे में स्क्रीन देखने की आदत है, तो सावधान हो जाएं।

जानिए अंधेरे में आंखों पर कैसे पड़ता है टीवी का असर

टीवी, मोबाइल और लैपटॉप स्क्रीन देखते हुए अगर ध्यान केंद्रित करने के चक्कर में आंखें गड़ाकर कुछ देखते हैं, तो इसकी वजह से आंखों पर तनाव पड़ता है। हमें लगता है कि टीवी की लाइट एक सी है, लेकिन हर बदलते सीन के साथ उसकी लाइटिंग भी बदल जाती है। जिसका असर आंखों पर पड़ता है।

इसे चेक करने का एक तरीका है कि जब टीवी देखें, तो एक नजर टीवी के ठीक सामने लगी दीवार पर डालें। आप पाएंगे कि टीवी की रिफ्लेक्शन लाइट दीवार पर बढ़-घट रही है। इन कम-ज्यादा होती लाइट्स के बीच आंखों पर दबाव पड़ता है।

कंप्यूटर/लैपटॉप की लाइट से होने वाले नुकसान से कैसे बचें?

डिजिटल दुनिया में ज्यादातर काम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर हो रहे हैं। ऑफिस का काम हो या बच्चों का प्रेजेंटेशन बनाना। पेपर की जगह सब कुछ नोटपैड पर लिखा जाने लगा है। टीवी के मुकाबले लैपटॉप और कंप्यूटर पर लोग ज्यादा समय देते हैं और इनकी स्क्रीन्स को ज्यादा समय तक देखते हैं।

ऐसे में इसे इस्तेमाल करने के तरीके पर भी खास ध्यान देना चाहिए। रात के समय काम कर रहे हैं और चाहते हैं कि किसी की नींद डिस्टर्ब न हो, तो टेबल लैंप का इस्तेमाल करें। यह आंखों को कुछ हद तक बचाने में मदद करता है।

मोबाइल नहीं पहुंचाएगा आंखों को नुकसान, बस दें थोड़ा ध्यान

लैपटॉप की तरह ही मोबाइल का इस्तेमाल भी रात में खास तौर पर किया जाता है। लगभग हर जनरेशन के ज्यादातर लोग सोने से पहले मोबाइल यूज करते हैं। अंधेरे में स्क्रीन देखने और स्क्रॉल करने से आंखों पर असर कम पड़ेगा अगर डार्क मोड, रीडिंग मोड या बेड टाइम का इस्तेमाल किया जाए। अब नए स्मार्ट फोन में इन फीचर्स का खास ध्यान रखा जा रहा है।

क्या करें कि आंखों को न लगे गैजेट्स की नजर

अंधेरे में स्क्रीन देखने से बचें। अगर रात के समय लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करने की मजबूरी हो, तो टेबल लैंप का इस्तेमाल करें। घंटों स्क्रीन को लगातार न देखें। थोड़ी बहुत नेचुरल लाइट लेते रहें। इसके लिए स्क्रीन छोड़कर 5 मिनट का ब्रेक आधे-एक घंटे पर लेते रहें।

आंखों में जलन, ड्राईनेस या पानी महसूस हो, तो आंखों पर पानी के छींटे मारें। आंखों को ब्लिंक करते रहें। आंखों की रोशनी बनी रहे, इसके लिए एक्सरसाइज और योगासनों को जीवन का हिस्सा बनाएं। किसी भी तरह की परेशानी महसूस हो, तो डॉक्टर से मिलें। इसके अलावा डॉक्टर से सलाह लें, स्क्रीन लाइट से बचने के लिए किसी चश्मे की जरूरत है या नहीं।

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